ज़बां Poetry (page 4)

फूल से मासूम बच्चों की ज़बाँ हो जाएँगे

वाली आसी

फूल से मासूम बच्चों की ज़बाँ हो जाएँगे

वाली आसी

हम जो दिन-रात ये इत्र-ए-दिल-ओ-जाँ खींचते हैं

वाली आसी

कमर धोका दहन उक़्दा ग़ज़ाल आँखें परी चेहरा

वाजिद अली शाह अख़्तर

सहे ग़म पए रफ़्तगाँ कैसे कैसे

वाजिद अली शाह अख़्तर

मोहब्बत से बंदा बना लीजिएगा

वाजिद अली शाह अख़्तर

किस तरह हुस्न-ए-ज़बाँ की हो तरक़्क़ी 'वहशत'

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

अभी होते अगर दुनिया में 'दाग़'-ए-देहलवी ज़िंदा

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

'वहशत'-ए-मुब्तला ख़ुदा के लिए

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

वफ़ा-ए-दोस्ताँ कैसी जफ़ा-ए-दुश्मनाँ कैसी

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

दिल के कहने पे चलूँ अक़्ल का कहना न करूँ

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

ज़िंदगी

वहीदुद्दीन सलीम

रौशन हों दिल के दाग़ तो लब पर फ़ुग़ाँ कहाँ

वहीदा नसीम

पत्थरों का मुग़न्नी

वहीद अख़्तर

आगही की दुआ

वहीद अख़्तर

हम ने देखा है मोहब्बत का सज़ा हो जाना

वहीद अख़्तर

हम जो टूटे तो ग़म-ए-दहर का पैमाना बने

वहीद अख़्तर

शाफ़्फ़ाफ़ियाँ(2)

वहीद अहमद

कोई बस्ती कि मुझ में बस्ती है

वहीद अहमद

अब हम चराग़ बन के सर-ए-राह जल उठे

विश्वनाथ दर्द

उम्र-भर उस की निशानी देखिए

विनीत आश्ना

मिरी वफ़ा की मुकम्मल तू दास्ताँ कर दे

विजय शर्मा अर्श

आवाज़

वर्षा गोरछिया

एक आश्ना अक्सर पास से गुज़रता है

उषा भदोरिया

रहने दे तकलीफ़-ए-तवज्जोह दिल को है आराम बहुत

उनवान चिश्ती

जब ज़ुल्फ़ शरीर हो गई है

उनवान चिश्ती

न इल्म है न ज़बाँ है तो किस लिए 'महरूम'

तिलोकचंद महरूम

ख़ुदा से वक़्त-ए-दुआ हम सवाल कर बैठे

तिलोकचंद महरूम

काविशों से अमाँ मिले न मिले

तिलोकचंद महरूम

उस कू मैं हुए हम वो लब-ए-बाम न आया

मीर तस्कीन देहलवी

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