ज़बां Poetry (page 5)

हुए थे भाग के पर्दे में तुम निहाँ क्यूँकर

मीर तस्कीन देहलवी

लफ़्ज़ दे मुझे कुछ तो

तारिक़ शाहिद

हवा रुकी है तो रक़्स-ए-शरर भी ख़त्म हुआ

तारिक़ क़मर

सारे ज़ख़्मों को ज़बाँ मिल गई ग़म बोलते हैं

तारिक़ क़मर

ग़म-ए-दिल की ज़बाँ अहल-ए-तशद्दुद कम समझते हैं

तालिब चकवाली

हर रस्म पर नज़र को झुकाते हुए चले

तलअत इशारत

ये आँख नम थी ज़बाँ पर मगर सवाल न था

ताहिरा जबीन तारा

ये आँख नम थी ज़बाँ पर मगर सवाल न था

ताहिरा जबीन तारा

लहरों में भँवर निकलेंगे मेहवर न मिलेगा

तफ़ज़ील अहमद

कोई इज़हार कर सकता है कैसे

ताबिश कमाल

कहाँ आ गई हो

ताबिश कमाल

यक़ीं से जो गुमाँ का फ़ासला है

ताबिश कमाल

अश्कों के गुहर यूँ सर-ए-मिज़्गाँ भी न तोलें

तबस्सुम रिज़वी

ए-के-शैख़ के पेट का कुत्ता

तबस्सुम काश्मीरी

ये हुजुम-ए-रस्म-ओ-रह दुनिया की पाबंदी भी है

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

है आरज़ू ये जी में उस की गली में जावें

ताबाँ अब्दुल हई

जोश पर थीं सिफ़त-ए-अब्र-ए-बहारी आँखें

तअशशुक़ लखनवी

बोसा-ए-आरिज़ मुझे देते हुए डरता है क्यूँ

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

तेरे दर से मैं उठा लेकिन न मेरा दिल उठा

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

कैफ़ियत ही कैफ़ियत में हम कहाँ तक आ गए

सय्यद मुबीन अल्वी ख़ैराबादी

अगर कहीं पर लिखा हुआ है

सय्यद मुबारक शाह

वज़ीर का ख़्वाब

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

ख़ला में बंदर

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

शहर में साएबाँ बहुत से हैं

सय्यद मेराज जामी

शिकवे ज़बाँ पे आ सकें इस का सवाल ही न हो

सय्यद हामिद

लहू को दिल के जो सर्फ़-ए-बहार कर न सके

सय्यद हामिद

बात वो बात नहीं है जो ज़बाँ तक पहुँचे

सय्यद हामिद

ज़ीस्त में कोशिश-ए-नाकाम से पहले पहले

सय्यद आरिफ़ अली

है किस के लिए लुत्फ़ ग़ज़ब किस के लिए है

सय्यद अमीन अशरफ़

शोला-ए-इश्क़ में जो दिल को तपाँ रखते हैं

सय्यद अहमद शमीम

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