समय Poetry (page 19)

जब पुर्सिश-ए-हाल वो फ़रमाते हैं जानिए क्या हो जाता है

फ़ानी बदायुनी

इश्क़ इश्क़ हो शायद हुस्न में फ़ना हो कर

फ़ानी बदायुनी

वो ख़ानुमाँ-ख़राब न क्यूँ दर-ब-दर फिरे

फ़ना निज़ामी कानपुरी

मुझे रुतबा-ए-ग़म बताना पड़ेगा

फ़ना निज़ामी कानपुरी

मिरी लौ लगी है तुझ से ग़म-ए-ज़िंदगी मिटा दे

फ़ना बुलंदशहरी

ग़म-ए-जानाँ के सिवा कुछ हमें प्यारा न हुआ

फ़ैज़ी निज़ाम पुरी

जो मेरा तुम्हारा रिश्ता है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ये किस ख़लिश ने फिर इस दिल में आशियाना किया

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

मिटा के तीरगी तनवीर चाहता है दिल

फ़ैय्याज़ रश्क़

तेरी आँखें न रहीं आईना-ख़ाना मिरे दोस्त

फ़ैसल अजमी

हमारे शजरे बिखर गए हैं

फ़हीम शनास काज़मी

भगत-सिंह के नाम

फ़हीम शनास काज़मी

वाक़िफ़ कहाँ ज़माना हमारी उड़ान से

फ़हीम जोगापुरी

ऐ सजन वक़्त-ए-जाँ-गुदाज़ी है

फ़ाएज़ देहलवी

ज़ीस्त में ग़म हैं हम-सफ़र फिर भी

एलिज़ाबेथ कुरियन मोना

नूर की किरन उस से ख़ुद निकलती रहती है

एजाज़ सिद्दीक़ी

मिट गया ग़म तिरे तकल्लुम से

एजाज़ रहमानी

महमिल है मतलूब न लैला माँगता है

एजाज़ गुल

इस्तादा है जब सामने दीवार कहूँ क्या

एजाज़ गुल

रिश्ते की सच्चाई

एहसान साक़िब

परस्तिश-ए-ग़म का शुक्रिया क्या तुझे आगही नहीं

एहसान दानिश

आइने से कब तलक तुम अपना दिल बहलाओगे

दिनेश ठाकुर

यगाना क्या!

दिलावर फ़िगार

इश्क़ का परचा

दिलावर फ़िगार

सात दरियाओं का पानी है मिरे कूज़े में

दिलावर अली आज़र

शब की तारीकी बढ़ती ही जाए

दीद राही

वक़्त की सदियाँ

दाऊद ग़ाज़ी

वफ़ा पर दग़ा सुल्ह में दुश्मनी है

दत्तात्रिया कैफ़ी

कोई दिल-लगी दिल लगाना नहीं है

दत्तात्रिया कैफ़ी

इक ख़्वाब का ख़याल है दुनिया कहें जिसे

दत्तात्रिया कैफ़ी

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