जीवन Poetry (page 86)

अगर मेरी जबीन-ए-शौक़ वक़्फ़-ए-बंदगी होती

अबु मोहम्मद वासिल

इश्क़ के मज़मूँ थे जिन में वो रिसाले क्या हुए

अबु मोहम्मद सहर

बला-ए-जाँ थी जो बज़्म-ए-तमाशा छोड़ दी मैं ने

अबु मोहम्मद सहर

काली ग़ज़ल सुनो न सुहानी ग़ज़ल सुनो

अबु मोहम्मद सहर

हर ख़ौफ़ हर ख़तर से गुज़रना भी सीखिए

अबु मोहम्मद सहर

अब तक इलाज-ए-रंजिश-ए-बे-जा न कर सके

अबु मोहम्मद सहर

जो नहीं लगती थी कल तक अब वही अच्छी लगी

अबसार अब्दुल अली

शब-ए-सियाह हुआ रोज़ ऐ सजन तुझ बिन

आबरू शाह मुबारक

कुछ है ख़बर फ़रिश्तों के जलते हैं पर कहाँ

अबरार शाहजहाँपुरी

इलाही क्या कभी पूरे ये अरमाँ हो भी सकते हैं

अबरार शाहजहाँपुरी

बहुत तज़्किरा दास्तानों में था

अबरार आज़मी

हम यक़ीनन यहाँ नहीं होंगे

अबरार अहमद

हवा जब तेज़ चलती है

अबरार अहमद

हमारे दुखों का इलाज कहाँ है

अबरार अहमद

आँखें तरस गई हैं

अबरार अहमद

ये यक़ीं ये गुमाँ ही मुमकिन है

अबरार अहमद

यक़ीन है कि गुमाँ है मुझे नहीं मालूम

अबरार अहमद

तुझ से वाबस्तगी रहेगी अभी

अबरार अहमद

चाँदनी रात है उदासी है

आबिद सिद्दीक़

मुक़द्दर में साहिल कहाँ है मियाँ

आबिद मुनावरी

इक अजनबी की तरह है ये ज़िंदगी मिरे साथ

आबिद मलिक

आसूदगान-ए-हिज्र से मिलने की चाह में

आबिद मलिक

था मुख़्तसर वजूद जसीम-ओ-जरी न थी

आबिद काज़मी

न हो हयात का हासिल तो बंदगी क्या है

आबिद काज़मी

ज़मीं से चल के तो पहुँचा हूँ आसमाँ तक मैं

आबिद हशरी

श्याम गोकुल न जाना कि राधा का जी अब न बंसी की तानों पे लहराएगा

आबिद हशरी

मैं सोचता हूँ बहुत ज़िंदगी के बारे में

अभिषेक शुक्ला

सफ़र के बा'द भी ज़ौक़-ए-सफ़र न रह जाए

अभिषेक शुक्ला

ख़ला के जैसा कोई दरमियान भी पड़ता

अभिषेक शुक्ला

अभी तो आप ही हाइल है रास्ता शब का

अभिषेक शुक्ला

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