आदत Poetry (page 6)

है नौ-जवानी में ज़ोफ़-ए-पीरी बदन में रअशा कमर में ख़म है

हबीब मूसवी

फ़िराक़ में दम उलझ रहा है ख़याल-ए-गेसू में जांकनी है

हबीब मूसवी

दुनिया को रू-शनास-ए-हक़ीक़त न कर सके

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

किताबें

गुलज़ार

आदत

गुलज़ार

तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की

गुलज़ार

ज़िंदगी मर्ग की मोहलत ही सही

ग़ुलाम मौला क़लक़

जिस क़दर महमेज़ करता हूँ मैं 'साजिद' वक़्त को

ग़ुलाम हुसैन साजिद

आइने में अक्स खिलता है गुल-ए-हैरत नहीं

ग़ुलाम हुसैन साजिद

आँख की पुतली में सूरज सर में कुछ सौदा उगा

ग़यास मतीन

सादिक़ हूँ अपने क़ौल का 'ग़ालिब' ख़ुदा गवाह

ग़ालिब

हम भी तस्लीम की ख़ू डालेंगे

ग़ालिब

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही

ग़ालिब

नदी

गीताञ्जलि राय

घर से बे-ज़ार हूँ कॉलेज में तबीअ'त न लगे

फ़ुज़ैल जाफ़री

ग़म-ए-जानाँ से रंगीं और कोई ग़म नहीं होता

फ़िगार उन्नावी

ज़िंदगी सादा वरक़ पर इक हसीं तहरीर है

फ़ातिमा वसीया जायसी

छाँव की शक्ल धूप की रंगत बदल गई

फ़ारूक़ शफ़क़

था पहला सफ़र उस की रिफ़ाक़त भी नई थी

फ़रहत नदीम हुमायूँ

तू मुझ को जो इस शहर में लाया नहीं होता

फ़रहत एहसास

अब उन्हें अपनी अदाओं से हिजाब आता है

फ़ानी बदायुनी

आह से या आह की तासीर से

फ़ानी बदायुनी

इंक़िलाबी औरत

फ़हमीदा रियाज़

अब सो जाओ

फ़हमीदा रियाज़

हँसने में रोने की आदत कभी ऐसी तो न थी

एजाज़ उबैद

दुश्वार है अब रास्ता आसान से आगे

एजाज़ गुल

भूक में दबे बचपन

दर्शिका वसानी

ले चला जान मिरी रूठ के जाना तेरा

दाग़ देहलवी

हमारे सब्र का इक इम्तिहान बाक़ी है

चित्रांश खरे

आँखों को अब निगाह की आदत नहीं रही

बुशरा हाश्मी

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