आदत Poetry (page 9)

मिरी आदत मुझे पागल नहीं होने देती

अहमद कमाल परवाज़ी

रौशनी साँस ही ले ले तो ठहर जाता हूँ

अहमद कमाल परवाज़ी

हो गए मुज़्तर देखते ही वो हिलती ज़ुल्फ़ें फिरती नज़र हम

अहमद हुसैन माइल

ले उड़ा फिर कोई ख़याल हमें

अहमद फ़राज़

ख़्वाब का इज़्न था ता'बीर-ए-इजाज़त थी मुझे

अहमद अता

ये कैसे बाल खोले आए क्यूँ सूरत बनी ग़म की

आग़ा शायर

पहले इस में इक अदा थी नाज़ था अंदाज़ था

आग़ा शाएर क़ज़लबाश

ज़र्रा भी अगर रंग-ए-ख़ुदाई नहीं देता

आग़ा शाएर क़ज़लबाश

गुज़रते लम्हों का मातम

आफ़ताब शम्सी

मुंकिर का ख़ौफ़

आफ़ताब इक़बाल शमीम

न हो या रब ऐसी तबीअत किसी की

अफ़सर इलाहाबादी

ख़मोश रहने की आदत भी मार देती है

आबिद ख़ुर्शीद

किसे ख़बर थी कि ख़ुद को वो यूँ छुपाएगा

आबिद ख़ुर्शीद

एक ख़्वाहिश है बस जमाने की

अभिषेक कुमार अम्बर

ऐ ग़म-ए-ज़िंदगी न हो नाराज़

अब्दुल हमीद अदम

मुंक़लिब सूरत-ए-हालात भी हो जाती है

अब्दुल हमीद अदम

गुनाह-ए-जुरअत-ए-तदबीर कर रहा हूँ मैं

अब्दुल हमीद अदम

देख कर दिल-कशी ज़माने की

अब्दुल हमीद अदम

शख़्सिय्यत की मौसीक़ी

अब्दुल अहद साज़

साँस के शोर को झंकार न समझा जाए

अब्बास ताबिश

मुझे भी इक सितमगर के करम से

अातिश बहावलपुरी

मुझे उन से मोहब्बत हो गई है

अातिश बहावलपुरी

सभी को अपना समझता हूँ क्या हुआ है मुझे

आशुफ़्ता चंगेज़ी

ख़याल जिन का हमें रोज़-ओ-शब सताता है

आल-ए-अहमद सूरूर

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