आदत Poetry (page 4)

कहो तो आज बता दें तुम्हें हक़ीक़त भी

सलमान अख़्तर

बे-वज्ह ज़ुल्म सहने की आदत नहीं रही

सलमान अख़्तर

अब ख़यालों का जहाँ और न आबाद करें

सलमा शाहीन

आईनों से धूल मिटाने आते हैं

सलीम मुहीउद्दीन

ये धरती ख़ूब-सूरत है

सलाम मछली शहरी

शगुफ़्ता बच्चों का चेहरा दिखाई देने लगे

सलाम मछली शहरी

हर तमन्ना दिल से रुख़्सत हो गई

साजिद सिद्दीक़ी लखनवी

सोच की लहरों का मजमा' ठीक है

साजिद असर

दोस्तो के काम आना जुर्म है

साजिद असर

यही आदत तो है 'सादी' सुकून-ए-क़ल्ब का बाइस

सईद इक़बाल सादी

सुख़न-वर हूँ सुख़न-फ़हमी की लज़्ज़त बाँट देता हूँ

सईद इक़बाल सादी

मैं जिसे प्यार का अंदाज़ समझ बैठा हूँ

साहिर लुधियानवी

हिरास

साहिर लुधियानवी

असासा

साहिल अहमद

नींद इन आँखों में बन कर आए कोई

साहिबा शहरयार

तुम ने कहा था चुप रहना सो चुप ने भी क्या काम किया

सहबा अख़्तर

तुम ने कहा था चुप रहना सो चुप ने भी क्या काम किया

सहबा अख़्तर

तुम्हारे ग़म को ग़म-ए-जाँ बना लिया मैं ने

सहर महमूद

ज़रूरत-ए-रिश्ता

साग़र ख़य्यामी

हम उस की ख़ातिर बचा न पाएँगे उम्र अपनी

साबिर

मुझे क़रार भँवर में उसे किनारे में

साबिर

हमारी बेचैनी उस की पलकें भिगो गई है

साबिर

मेरे लिए वो शख़्स मुसीबत भी बहुत है

रूही कंजाही

मुँह न ढाँको अब तो सूरत देख ली

रिन्द लखनवी

गली गली मिरी वहशत लिए फिरे है मुझे

रिफ़अत सरोश

मसरूफ़ियत उसी की है फ़ुर्सत उसी की है

रेहाना रूही

जो सहीफ़ों में लिखी है वो क़यामत हो जाए

रेहाना रूही

उस का चेहरा भी सुनाता है कहानी उस की

रेहाना क़मर

जगह बची ही नहीं दिल पे चोट खाने की

रज़ी रज़ीउद्दीन

क़रीब भी तो नहीं हो कि आ के सो जाओ

रउफ़ रज़ा

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