मैं जिसे प्यार का अंदाज़ समझ बैठा हूँ
वो तबस्सुम वो तकल्लुम तिरी आदत ही न हो
Allama Iqbal
Gulzar
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Jaun Eliya
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1333) Peoples Rate This
मादाम
आना है तो आ राह में कुछ फेर नहीं है
मिरे गीत
तिरी दुनिया में जीने से तो बेहतर है कि मर जाएँ
रद्द-ए-अमल
मतलब निकल गया है तो पहचानते नहीं
तरब-ज़ारों पे क्या बीती सनम-ख़ानों पे क्या गुज़री
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से
लो आज हम ने तोड़ दिया रिश्ता-ए-उमीद
शुआ-ए-फ़र्दा
तुम हुस्न की ख़ुद इक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहीं
सुब्ह-ए-नौ-रूज़