आंगन Poetry (page 11)

धुएँ में डूबे हैं फूल तारे चराग़ जुगनू चिनार कैसे

अतहर सलीमी

ग़म के बादल दिल-ए-नाशाद पे ऐसे छाए

अतहर राज़

मैं तुझे भूलना चाहूँ भी तो ना-मुम्किन है

अतहर नासिक

साया मेरा साया वो

अतहर नफ़ीस

दिल तो बरसाता है हर रोज़ ही ग़म के सावन

अतहर अज़ीज़

भरोसे का क़त्ल

अतीया दाऊद

दिल के आँगन में तिरी याद का तारा चमका

अतीक़ अंज़र

रूठ कर निकला तो वो उस सम्त आया भी नहीं

असलम कोलसरी

रूठ कर निकला तो वो इस सम्त आया भी नहीं

असलम कोलसरी

जब हमें इज़्न तमाशा होगा

असलम अंसारी

दूर की शहज़ादी

आसिफ़ रज़ा

आज़ादों का गीत

असग़र नदीम सय्यद

मेरा बचपन ही मुझे याद दिलाने आए

असग़र मेहदी होश

शाम ढलते ही दिल के आँगन से

अरशद नईम

खिंच के महबूब के दामन की तरफ़

अर्श मलसियानी

तू ज़मीं पर है कहकशाँ जैसा

आरिफ़ शफ़ीक़

तितलियाँ रंगों का महशर हैं कभी सोचा न था

आरिफ़ अब्दुल मतीन

मेरे ज़ेहन-ओ-दिल में फ़िक्र-ओ-फ़न में था

अक़ील शादाब

पँख हिला कर शाम गई है इस आँगन से

अनवर सदीद

अपने दिल की आदत है शहज़ादों वाली

अनवर सदीद

मंज़िल-ए-शौक़

अनवर नदीम

रोज़ उठ जाती है घर में कोई दीवार नई

अनवर जमाल अनवर

ज़ीने तो बस ज़ीने हैं

अनवार फ़ितरत

बातें पागल हो जाती हैं

अनवार फ़ितरत

जो हो सका न मिरा उस को भूल जाऊँ मैं

अनवर महमूद खालिद

जो हो सका न मिरा उस को भूल जाऊँ मैं

अनवर महमूद खालिद

जिन के आँगन में अमीरी का शजर लगता है

अंजुम रहबर

आग बहते हुए पानी में लगाने आई

अंजुम रहबर

काँटों में जो फूल खिला है

अंजुम लुधियानवी

तहय्युर है बला का ये परेशानी नहीं जाती

अंजुम ख़लीक़

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