आंखें Poetry (page 26)

हर्कुलेस और पाटे-ख़ान की सर्कस

हुसैन आबिद

जैसे कोई ज़िद्दी बच्चा कब बहले बहलाने से

हुमैरा रहमान

फ़साना अब कोई अंजाम पाना चाहता है

हुमैरा राहत

मादर-ए-वतन का नौहा

हिमायत अली शाएर

अन-कही

हिमायत अली शाएर

दस्तक हवा ने दी है ज़रा ग़ौर से सुनो

हिमायत अली शाएर

आज की शब जैसे भी हो मुमकिन जागते रहना

हिमायत अली शाएर

वक़्त ने रंग बहुत बदले क्या कुछ सैलाब नहीं आए

हिलाल फ़रीद

रंग-आमेज़ी से पैदा कुछ असर ऐसा हुआ

हीरा लाल फ़लक देहलवी

मेरी हस्ती में मिरी ज़ीस्त में शामिल होना

हीरा लाल फ़लक देहलवी

शौक़ कहता है कि चलिए कू-ए-जानाँ की तरफ़

हया लखनवी

ऐन-ए-का'बा में है मस्तों की जगह

हातिम अली मेहर

न दिया बोसा-ए-लब खा के क़सम भूल गए

हातिम अली मेहर

खुल गया उन की मसीहाई का आलम शब-ए-वस्ल

हातिम अली मेहर

ब-ख़ुदा हैं तिरी हिन्दू बुत-ए-मय-ख़्वार आँखें

हातिम अली मेहर

रोग दिल को लगा गईं आँखें

हसरत मोहानी

चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है

हसरत मोहानी

बुत-ए-बे-दर्द का ग़म मोनिस-ए-हिज्राँ निकला

हसरत मोहानी

निभे थी आन उन्हों की हमेशा इश्क़ में ख़ूब

हसरत अज़ीमाबादी

कब तलक हम को न आवेगा नज़र देखें तो

हसरत अज़ीमाबादी

तमाशा अहल-ए-मोहब्बत ये चार-सू करते

हाशिम रज़ा जलालपुरी

दर्द आसानी से कब पहलू बदल कर निकला

हसीब सोज़

उस की आँखें हरे समुंदर उस की बातें बर्फ़

हसन रिज़वी

ठहरे पानी को वही रेत पुरानी दे दे

हसन रिज़वी

खिलने लगे हैं फूल और पत्ते हरे हुए

हसन रिज़वी

गई रुतों को भी याद रखना नई रुतों के भी बाब पढ़ना

हसन रिज़वी

तय मुझ से ज़िंदगी का कहाँ फ़ासला हुआ

हसन निज़ामी

मैं किस वरक़ को छुपाऊँ दिखाऊँ कौन सा बाब

हसन नईम

कितनी मुश्किल से बहला था ये क्या कर गई शाम

हसन कमाल

झुलसे बदन न सुलगें आँखें ऐसे हैं दिन-रात मिरे

हसन कमाल

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