आंखें Poetry (page 28)

ताज़ा हो दिमाग़ अपना तमन्ना है तो ये है

हैदर अली आतिश

तार-तार-ए-पैरहन में भर गई है बू-ए-दोस्त

हैदर अली आतिश

शोहरा-ए-आफ़ाक़ मुझ सा कौन सा दीवाना है

हैदर अली आतिश

शब-ए-वस्ल थी चाँदनी का समाँ था

हैदर अली आतिश

क़ुदरत-ए-हक़ है सबाहत से तमाशा है वो रुख़

हैदर अली आतिश

क़िस्सा-ए-सिलसिला-ए-ज़ुल्फ़ न कहना बेहतर

हैदर अली आतिश

पिसे दिल उस की चितवन पर हज़ारों

हैदर अली आतिश

ना-फ़हमी अपनी पर्दा है दीदार के लिए

हैदर अली आतिश

मोहब्बत का तिरी बंदा हर इक को ऐ सनम पाया

हैदर अली आतिश

काबा ओ दैर में है किस के लिए दिल जाता

हैदर अली आतिश

ग़ैरत-ए-महर रश्क-ए-माह हो तुम

हैदर अली आतिश

दहन पर हैं उन के गुमाँ कैसे कैसे

हैदर अली आतिश

न आ जाए किसी पर दिल किसी का

हफ़ीज़ जौनपुरी

मोहब्बत क्या बढ़ी है वहम बाहम बढ़ते जाते हैं

हफ़ीज़ जौनपुरी

दिल पर लगा रही है वो नीची निगाह चोट

हफ़ीज़ जौनपुरी

अजब ज़माने की गर्दिशें हैं ख़ुदा ही बस याद आ रहा है

हफ़ीज़ जौनपुरी

अदा परियों की सूरत हूर की आँखें ग़ज़ालों की

हफ़ीज़ जौनपुरी

आग़ाज़-ए-मोहब्बत में बरसों यूँ ज़ब्त से हम ने काम लिया

हफ़ीज़ जौनपुरी

आग़ाज़-ए-मोहब्बत में बरसों यूँ ज़ब्त से हम ने काम लिया

हफ़ीज़ जौनपुरी

निगाह-ए-आरज़ू-आमोज़ का चर्चा न हो जाए

हफ़ीज़ जालंधरी

दूर से आँखें दिखाती है नई दुनिया मुझे

हफ़ीज़ जालंधरी

आने वाले जाने वाले हर ज़माने के लिए

हफ़ीज़ जालंधरी

ऐसी भी क्या जल्दी प्यारे जाने मिलें फिर या न मिलें हम

हफ़ीज़ होशियारपुरी

जो पर्दों में ख़ुद को छुपाए हुए हैं

हफ़ीज़ बनारसी

जो पर्दों में ख़ुद को छुपाए हुए हैं

हफ़ीज़ बनारसी

जिन की यादों से रौशन हैं मेरी आँखें

हबीब जालिब

मता-ए-ग़ैर

हबीब जालिब

बगिया लहूलुहान

हबीब जालिब

क्या क्या लोग गुज़र जाते हैं रंग-बिरंगी कारों में

हबीब जालिब

जीवन मुझ से मैं जीवन से शरमाता हूँ

हबीब जालिब

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