आंखें Poetry (page 30)

किस ने दी आवाज़ ''सिपर की ओट में था''

ग़ुलाम हुसैन साजिद

चराग़ की ओट में है मेहराब पर सितारा

ग़ुलाम हुसैन साजिद

अभी शब है मय-ए-उल्फ़त उण्डेलें

ग़ुलाम हुसैन साजिद

आज आईने में जो कुछ भी नज़र आता है

ग़ुलाम हुसैन साजिद

पत्थर

ग़ज़नफ़र

गंदुम की बालियाँ

ग़ज़नफ़र

तारीकी में नूर का मंज़र सूरज में शब देखोगे

ग़ज़नफ़र

अल्फ़ाज़-ए-बे-सदा का इम्कान आइने में

ग़ालिब इरफ़ान

बस तेरे लिए उदास आँखें

ग़ालिब अयाज़

सदा ब-सहरा

ग़ालिब अहमद

सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं

ग़ालिब

मुज़्दा ऐ ज़ौक़-ए-असीरी कि नज़र आता है

ग़ालिब

मुँद गईं खोलते ही खोलते आँखें 'ग़ालिब'

ग़ालिब

लाग़र इतना हूँ कि गर तू बज़्म में जा दे मुझे

ग़ालिब

मौत

गीताञ्जलि राय

बोसे बीवी के हँसी बच्चों की आँखें माँ की

फ़ुज़ैल जाफ़री

साहब दिलों से राह में आँखें मिला के देख

फ़ुज़ैल जाफ़री

गिर भी जाएँ तो न मिस्मार समझिए हम को

फ़ुज़ैल जाफ़री

शाम-ए-अयादत

फ़िराक़ गोरखपुरी

जुगनू

फ़िराक़ गोरखपुरी

हिण्डोला

फ़िराक़ गोरखपुरी

आधी रात

फ़िराक़ गोरखपुरी

ये मौत-ओ-अदम कौन-ओ-मकाँ और ही कुछ है

फ़िराक़ गोरखपुरी

तुम्हें क्यूँकर बताएँ ज़िंदगी को क्या समझते हैं

फ़िराक़ गोरखपुरी

नर्म फ़ज़ा की करवटें दिल को दुखा के रह गईं

फ़िराक़ गोरखपुरी

किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी

फ़िराक़ गोरखपुरी

कमी न की तिरे वहशी ने ख़ाक उड़ाने में

फ़िराक़ गोरखपुरी

बस्तियाँ ढूँढ रही हैं उन्हें वीरानों में

फ़िराक़ गोरखपुरी

है सख़्त मुश्किल में जान साक़ी पिलाए आख़िर किधर से पहले

फ़ज़्ल अहमद करीम फ़ज़ली

मेरे होंटों पे तेरे नाम की लर्ज़िश तो नहीं

फ़ाज़िल जमीली

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