अच्छा Poetry (page 9)

ऐसे बीमार की दवा क्या है

रिफ़अत ज़मानी बेगम इस्मत

फिर तुम रुख़-ए-ज़ेबा से नक़ाब अपने उठा दो

रिफ़अत सेठी

सर-ब-सर यार की मर्ज़ी पे फ़िदा हो जाना

रहमान फ़ारिस

दुनिया-दारी से ना-वाक़िफ़ कैसा पागल लड़का था

रज़्ज़ाक़ अरशद

न बातें कीं न तस्कीं दी न पहलू में ज़रा ठहरे

रौनक़ टोंकवी

जो भी कुछ अच्छा बुरा होना है जल्दी हो जाए

रउफ़ रज़ा

दोस्त के शहर में जब मैं पहुँचा शहर का मंज़र अच्छा था

रासिख़ फारानी

इस ए'तिबार से वो ज़ूद-रंज अच्छा है

राशिद मुराद

जोश-ए-वहशत मेरे तलवों को ये ईज़ा भी सही

रशीद लखनवी

जिस को आदत वस्ल की हो हिज्र से क्यूँकर बने

रशीद लखनवी

मुमकिन है वो दिन आए कि दुनिया मुझे समझे

रसा चुग़ताई

भला कह दिया या बुरा कह दिया

राणा गन्नौरी

तुझे अच्छा बुरा जैसा लगा हूँ

राम नाथ असीर

न झटको ज़ुल्फ़ से पानी ये मोती टूट जाएँगे

राजेन्द्र कृष्ण

सुना है ये जहाँ अच्छा था पहले

राजेश रेड्डी

किसी दिन ज़िंदगानी में करिश्मा क्यूँ नहीं होता

राजेश रेड्डी

जो कहीं था ही नहीं उस को कहीं ढूँढना था

राजेश रेड्डी

दुनिया से, जिस से आगे का सोचा नहीं गया

राजेश रेड्डी

ख़ुद-कुशी

राजा मेहदी अली ख़ाँ

एक चेहलुम पर

राजा मेहदी अली ख़ाँ

कह रहे थे लोग सहरा जल गया

रईस फ़रोग़

घर में सहरा है तो सहरा को ख़फ़ा कर देखो

रईस फ़रोग़

इक अपने सिलसिले में तो अहल-ए-यक़ीं हूँ मैं

रईस फ़रोग़

'रईस' अश्कों से दामन को भिगो लेते तो अच्छा था

रईस अमरोहवी

'रईस' अश्कों से दामन को भिगो लेते तो अच्छा था

रईस अमरोहवी

वस्ल की रुत हो कि फ़ुर्क़त की फ़ज़ा मुझ से है

राहुल झा

अब के बिखरा तो मैं यकजा नहीं हो पाऊँगा

राहुल झा

क्यूँ न हम याद किसी को सहर-ओ-शाम करें

रहमत इलाही बर्क़ आज़मी

आप ने अच्छा किया ततहीर-ए-ख़्वाहिश ही न की

राही फ़िदाई

कोई नश्शा न कोई ख़्वाब ख़रीद

राही फ़िदाई

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