न बातें कीं न तस्कीं दी न पहलू में ज़रा ठहरे

न बातें कीं न तस्कीं दी न पहलू में ज़रा ठहरे

जो तुम आए तो क्या आए जो तुम ठहरे तो क्या ठहरे

किस का रंग-ए-उल्फ़त क्या जमे वाँ ये भी मुश्किल है

कि उन के दस्त ओ पा में एक दम रंग-ए-हिना ठहरे

दिल-ए-मुज़्तर ब-शक्ल-ए-बर्क़ दम लेने नहीं देता

मुझे आराम आ जाए जो पहलू में ज़रा ठहरे

वफ़ादारी हुई बे-कार मरना खेल आ ठहरा

ख़ुदा जाने कि अब क्या रंग-ए-आईन-ए-वफ़ा ठहरे

दिमाग़ ऐसा ही कुछ नाज़ुक जलें ऐसे ही कुछ बद-गो

कहूँ इक हर्फ़-ए-मतलब और वाँ इक माजरा ठहरे

चमन में आग सी पैराहन-ए-गुल से भड़क उट्ठी

फ़ुग़ाँ से एक दम तो बुलबुल-ए-आतिश-नवा ठहरे

अगर जाना ही ठहरा है तो अच्छा दिल भी ले जाओ

किसी पहलू किसी सूरत तो जान-ए-मुब्तला ठहरे

कभी शाद ही कभी ग़म है कभी कुछ और आलम है

दिल इक मेहमाँ-सरा है इस में 'रौनक़' कोई आ ठहरे

(423) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Raunaq Tonkvi. is written by Raunaq Tonkvi. Complete Poem in Hindi by Raunaq Tonkvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.