अच्छा Poetry (page 22)

तिरछी नज़र न हो तरफ़-ए-दिल तो क्या करूँ

आग़ा हज्जू शरफ़

रंग आ जाते मुट्ठी में जुगनू बन कर

अफ़ज़ाल फ़िरदौस

दीवारों में दर होता तो अच्छा था

अफ़ज़ाल फ़िरदौस

दीवारों में दर होता तो अच्छा था

अफ़ज़ाल फ़िरदौस

हाल हमारा पूछने वाले

आफ़ताब हुसैन

दिल भी आप को भूल चुका है

आफ़ताब हुसैन

नज़्म

आदिल मंसूरी

एक क़तरा अश्क का छलका तो दरिया कर दिया

आदिल मंसूरी

माह अच्छा है बहुत ही न ये साल अच्छा है

अदीम हाशमी

क्यूँ परखते हो सवालों से जवाबों को 'अदीम'

अदीम हाशमी

राहत-ए-जाँ से तो ये दिल का वबाल अच्छा है

अदीम हाशमी

अचानक दिलरुबा मौसम का दिल-आज़ार हो जाना

अदा जाफ़री

बिफरी लहरें रात अँधेरी और बला की आँधी है

अबरार हामिद

कोई मंज़र भी नहीं अच्छा लगा

आबिद वदूद

जब से दरिया में है तुग़्यानी बहुत

आबिद वदूद

चलते हुए मुझ में कहीं ठहरा हुआ तू है

अभिषेक शुक्ला

मैं तेरी चाह में झूटा हवस में सच्चा हूँ

अब्दुर्रहीम नश्तर

मैं तेरी चाह में झूटा हवस में सच्चा हूँ

अब्दुर्रहीम नश्तर

फिर नई हिजरत कोई दरपेश है

अब्दुल्लाह जावेद

जानिब-ए-दर देखना अच्छा नहीं

अब्दुल्लाह जावेद

तुम्हारी चश्म ने मुझ सा न पाया

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

कहाँ शिकवा ज़माने का पस-ए-दीवार करते हैं

अब्दुल मजीद ख़ाँ मजीद

फ़क़त माल-ओ-ज़र-ए-दीवार-ओ-दर अच्छा नहीं लगता

अब्बास ताबिश

पस-ए-ग़ुबार मदद माँगते हैं पानी से

अब्बास ताबिश

फ़क़त माल-ओ-ज़र-ए-दीवार-ओ-दर अच्छा नहीं लगता

अब्बास ताबिश

जो हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ

आज़िम कोहली

हम ने मिल-जुल के गुज़ारे थे जो दिन अच्छे थे

आज़िम कोहली

दुख पे मेरे रो रहा था जो बहुत

आज़िम कोहली

जो हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ

आज़िम कोहली

दूर है मंज़िल तो क्या रस्ता तो है

आज़िम कोहली

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