अच्छा Poetry (page 21)

अदा में बाँकपन अंदाज़ में इक आन पैदा कर

अहसन मारहरवी

जंगल का सन्नाटा मेरा दुश्मन है

अहमद ज़फ़र

आप कहें तो गुलशन है

अहमद ज़फ़र

तू ने ही तो चाहा था कि मिलता रहूँ तुझ से

अहमद मुश्ताक़

मिल ही आते हैं उसे ऐसा भी क्या हो जाएगा

अहमद मुश्ताक़

इश्क़ में कौन बता सकता है

अहमद मुश्ताक़

दुनिया में सुराग़-ए-रह-ए-दुनिया नहीं मिलता

अहमद मुश्ताक़

लोग कहते थे वो मौसम ही नहीं आने का

अहमद महफ़ूज़

तुझ से बिछड़ूँ तो तिरी ज़ात का हिस्सा हो जाऊँ

अहमद कमाल परवाज़ी

तुझ से बिछड़ूँ तो तिरी ज़ात का हिस्सा हो जाऊँ

अहमद कमाल परवाज़ी

आग तो चारों ही जानिब थी पर अच्छा ये है

अहमद कमाल परवाज़ी

तुझ से बिछड़ूँ तो तिरी ज़ात का हिस्सा हो जाऊँ

अहमद कमाल परवाज़ी

शाम के ब'अद सितारों को सँभलने न दिया

अहमद कमाल परवाज़ी

फूल पर ओस का क़तरा भी ग़लत लगता है

अहमद कमाल परवाज़ी

सबा देख इक दिन इधर आन कर के

अहमद जावेद

हूँ कि जब तक है किसी ने मो'तबर रक्खा हुआ

अहमद हुसैन मुजाहिद

जितने अच्छे हैं मैं हूँ उन में बुरा

अहमद हुसैन माइल

हो गए मुज़्तर देखते ही वो हिलती ज़ुल्फ़ें फिरती नज़र हम

अहमद हुसैन माइल

न शब ओ रोज़ ही बदले हैं न हाल अच्छा है

अहमद फ़राज़

'मीर' के मानिंद अक्सर ज़ीस्त करता था 'फ़राज़'

अहमद फ़राज़

हम को अच्छा नहीं लगता कोई हमनाम तिरा

अहमद फ़राज़

हर तरह की बे-सर-ओ-सामानियों के बावजूद

अहमद फ़राज़

गुफ़्तुगू अच्छी लगी ज़ौक़-ए-नज़र अच्छा लगा

अहमद फ़राज़

दिल का दुख जाना तो दिल का मसअला है पर हमें

अहमद फ़राज़

साक़िया एक नज़र जाम से पहले पहले

अहमद फ़राज़

क्यूँ न हम अहद-ए-रिफ़ाक़त को भुलाने लग जाएँ

अहमद फ़राज़

हर कोई दिल की हथेली पे है सहरा रक्खे

अहमद फ़राज़

गुफ़्तुगू अच्छी लगी ज़ौक़-ए-नज़र अच्छा लगा

अहमद फ़राज़

अब यहाँ कौन निकालेगा भला दूध की नहर

अहमद अता

तू नहीं मिलती तो हम भी तुझ को मिलने के नहीं

आग़ा हज्जू शरफ़

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