तू नहीं मिलती तो हम भी तुझ को मिलने के नहीं
तफ़रक़ा आपस में ऐ उम्र-ए-रवाँ अच्छा नहीं
Rahat Indori
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(680) Peoples Rate This
कभी जो यार को देखा तो ख़्वाब में देखा
जश्न था ऐश-ओ-तरब की इंतिहा थी मैं न था
तिरछी नज़र न हो तरफ़-ए-दिल तो क्या करूँ
क़रीब-ए-मर्ग हूँ लिल्लाह आईना रख दो
इश्क़-ए-दहन में गुज़री है क्या कुछ न पूछिए
शाख़-ए-गुल झूम के गुलज़ार में सीधी जो हुई
दिल को अफ़सोस-ए-जवानी है जवानी अब कहाँ
घिसते घिसते पाँव में ज़ंजीर आधी रह गई
दो वक़्त निकलने लगी लैला की सवारी
पाया तिरे कुश्तों ने जो मैदान-ए-बयाबाँ
ख़ल्वत-सरा-ए-यार में पहुँचेगा क्या कोई
तिरी गली में जो धूनी रमाए बैठे हैं