क्यूँ परखते हो सवालों से जवाबों को 'अदीम'
होंट अच्छे हों तो समझो कि सवाल अच्छा है
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फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था
हुआ है जो सदा उस को नसीबों का लिखा समझा
किस हवाले से मुझे किस का पता याद आया
राहत-ए-जाँ से तो ये दिल का वबाल अच्छा है
उसी एक फ़र्द के वास्ते मिरे दिल में दर्द है किस लिए
रख़्त-ए-सफ़र यूँही तो न बेकार ले चलो
क्यूँ मिरे लब पे वफ़ाओं का सवाल आ जाए
हम बहर हाल दिल ओ जाँ से तुम्हारे होते
मेरे रस्ते में भी अश्जार उगाया कीजे
सर-ए-सहरा मुसाफ़िर को सितारा याद रहता है
याद कर के और भी तकलीफ़ होती थी 'अदीम'
बड़ा वीरान मौसम है कभी मिलने चले आओ