मेरे रस्ते में भी अश्जार उगाया कीजे

मेरे रस्ते में भी अश्जार उगाया कीजे

मैं भी इंसाँ हूँ मिरे सर पे भी साया कीजे

रात दिन राह में आँखें न बिछाया कीजे

रौशनी में तो चराग़ों को बुझाया कीजे

आप इतना तो मिरे वास्ते कर सकते हैं

आप उस शख़्स की बातें ही सुनाया कीजे

हाथ में जो है बहार उस को तो आने दीजे

काग़ज़ों पर तो हरे पेड़ बनाया कीजे

रास्ते धूप से पिघले ही चले जाते हैं

आप बादल हैं तो फिर शहर पे साया कीजे

क़ैद-ए-तन्हाई में क्या आएगी कोई आवाज़

बैठ कर अपनी ही ज़ंजीर हिलाया कीजे

जा चुका शहर से वो अपनी उदासी ले कर

उम्र भर अब दर-ओ-दीवार सजाया कीजे

लीजिए तोड़ गया दम वो सदाओं का डसा

चीख़िए अब कि यहाँ शोर मचाया कीजे

फूल खिलते हैं कहाँ ख़ुश्क चटानों में 'अदीम'

राह के संग ही आँखों से लगाया कीजे

(1229) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Mere Raste Mein Bhi Ashjar Ugaya Kije In Hindi By Famous Poet Adeem Hashmi. Mere Raste Mein Bhi Ashjar Ugaya Kije is written by Adeem Hashmi. Complete Poem Mere Raste Mein Bhi Ashjar Ugaya Kije in Hindi by Adeem Hashmi. Download free Mere Raste Mein Bhi Ashjar Ugaya Kije Poem for Youth in PDF. Mere Raste Mein Bhi Ashjar Ugaya Kije is a Poem on Inspiration for young students. Share Mere Raste Mein Bhi Ashjar Ugaya Kije with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.