आदमी Poetry (page 11)

जुनूँ का रंग भी हो शोला-ए-नुमू का भी हो

इफ़्तिख़ार आरिफ़

जिस्म-ओ-जाँ की बस्ती में सिलसिले नहीं मिलते

इफ़्फ़त ज़र्रीं

किसी के हाथ कहाँ ये ख़ज़ाना आता है

इदरीस बाबर

मिरे ही दिल को अपना घर समझना

इबरत बहराईची

शीशे का आदमी हूँ मिरी ज़िंदगी है क्या

इब्राहीम अश्क

करें सलाम उसे तो कोई जवाब न दे

इब्राहीम अश्क

अना ने टूट के कुछ फ़ैसला किया ही नहीं

इब्राहीम अश्क

जिसे मिलें वही तन्हा दिखाई देता है

हीरानंद सोज़

हारून की आवाज़

हिमायत अली शाएर

मैं जो कुछ सोचता हूँ अब तुम्हें भी सोचना होगा

हिमायत अली शाएर

निय्यत अगर ख़राब हुई है हुज़ूर की

हीरा लाल फ़लक देहलवी

शीशे के मुक़द्दर में बदल क्यूँ नहीं होता

हस्तीमल हस्ती

नज़र उस पर फ़िदा है जिस की ताबानी नहीं जाती

हसरत कमाली

जो भी यहाँ हुआ वो बहुत ही बुरा हुआ

हसीर नूरी

आँखों से टपके ओस तो जाँ में नमी रहे

हसन नईम

'हबीब-जालिब'

हसन आबिदी

ज़िंदगी अब रहे ख़ता कब तक

हरी मेहता

तुम्हारी आँखों की गर्दिशों में बड़ी मुरव्वत है हम ने माना

हनीफ़ अख़गर

ग़रीबी अमीरी है क़िस्मत का सौदा

हैरत गोंडवी

है इतना ही अब वास्ता ज़िंदगी से

हैरत गोंडवी

सूरत से इस की बेहतर सूरत नहीं है कोई

हैदर अली आतिश

लख़्त-ए-जिगर को क्यूँकर मिज़्गान-ए-तर सँभाले

हैदर अली आतिश

जौहर नहीं हमारे हैं सय्याद पर खुले

हैदर अली आतिश

आरिफ़ है वो जो हुस्न का जूया जहाँ में है

हैदर अली आतिश

तमाम रात आँसुओं से ग़म उजालता रहा

हफ़ीज़ मेरठी

आदमी का आदमी हर हाल में हमदर्द हो

हफ़ीज़ जौनपुरी

यूँ उठा दे हमारे जी से ग़रज़

हफ़ीज़ जौनपुरी

किसी को देख कर बे-ख़ुद दिल-ए-काम हो जाना

हफ़ीज़ जौनपुरी

पिए जा

हफ़ीज़ जालंधरी

ख़फ़ा है गर ये ख़ुदाई तो फ़िक्र ही क्या है

हफ़ीज़ बनारसी

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