मित्रों Poetry (page 3)

यूँ देख मिरे दीदा-ए-पुर-आब की गर्दिश

मोहम्मद रफ़ी सौदा

उन से भी मेरी दोस्ती उन से भी रंजिशें

सऊद उस्मानी

आँखों में एक ख़्वाब पस-ए-ख़्वाब और है

सऊद उस्मानी

मुंहदिम होती हुई आबादियों में फ़ुर्सत-ए-यक-ख़्वाब होते

सरवत हुसैन

धूप पीछा नहीं छोड़ेगी ये सोचा भी नहीं

सलमा शाहीन

अपने जीने के हम अस्बाब दिखाते हैं तुम्हें

सलीम सिद्दीक़ी

तिलिस्म-ख़ाना-ए-अस्बाब मेरे सामने था

सलीम कौसर

ग़म मुसलसल हो तो अहबाब बिछड़ जाते हैं

सलाम मछली शहरी

अब अयादत को मिरी कोई नहीं आएगा

सलाम मछली शहरी

कोई नहीं आता समझाने

सैफ़ुद्दीन सैफ़

सुब्ह-ए-नौ-रूज़

साहिर लुधियानवी

सर-ज़मीन-ए-यास

साहिर लुधियानवी

प्यार का तोहफ़ा

साहिर लुधियानवी

मादाम

साहिर लुधियानवी

जागीर

साहिर लुधियानवी

26/जानवरी

साहिर लुधियानवी

बचपन की यादों को भुलाए एक ज़माना बीत गया

सहर महमूद

शहर के लोग जिसे तेरी सितम-ज़ाई कहें

सफ़दर सलीम सियाल

हर एक जिस्म पे बस एक ही से गहने लगे

रिन्द साग़री

नक़ाब-ए-रुख़ उठा कर हुस्न जब जल्वा-फ़िगन होगा

रिफ़अत सेठी

कौन से जज़्बात ले कर तेरे पास आया करूँ

रियाज़ मजीद

शहर अपना है मगर लोग कहाँ हैं अपने

रज़्ज़ाक़ अफ़सर

ख़ुश्क दामन पे बरसने नहीं देती मुझ को

रज़ा मौरान्वी

दिल बता और क्या है होने को

रज़ा अमरोही

कोई हैरान है याँ कोई दिल-गीर

रासिख़ अज़ीमाबादी

मुझ को मंज़ूर है मरने पे सुबुक-बारी हो

रशीद लखनवी

कहाँ किसी की हिमायत में मारा जाऊँगा

राणा सईद दोशी

तमाम शहर गिरफ़्तार है अज़िय्यत में

रम्ज़ी असीम

नींद आती है मगर ख़्वाब नहीं आते हैं

रम्ज़ी असीम

हमारा ख़्वाब अगर ख़्वाब की ख़बर रक्खे

रम्ज़ी असीम

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