अहवाल Poetry (page 3)

हैरान सी है भचक रही है

रिन्द लखनवी

बदल सका न जुदाई के ग़म उठा कर भी

रियाज़ मजीद

कोई जादू न फ़साना न फ़ुसूँ है यूँ है

रेहाना रूही

वबाल-ए-जान हर इक बाल है म्याँ

रज़ा अज़ीमाबादी

हर नफ़स मूरिद-ए-सफ़र हैं हम

रज़ा अज़ीमाबादी

आस हुस्न-ए-गुमान से टूटी

रासिख़ इरफ़ानी

किस को लहद और मर्ग का डर हो

रशीद रामपुरी

दिल की क्या क़द्र हो मेहमाँ कभी आए न गए

रशीद रामपुरी

छुट गए हम जो असीर-ए-ग़म-ए-हिज्राँ हो कर

रशीद रामपुरी

यूँ गँवाता है कोई जान-ए-अज़ीज़

रसा चुग़ताई

अभी से मत कहो दिल का ख़लल जावे तो बेहतर है

रजब अली बेग सुरूर

अजब है रंग-ए-चमन जा-ब-जा उदासी है

इरफ़ान सत्तार

छेड़ने का तो मज़ा जब है कहो और सुनो

इंशा अल्लाह ख़ान

दिल से क्या पूछता है ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर से पूछ

इम्दाद इमाम असर

दिल से क्या पूछता है ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर से पूछ

इम्दाद इमाम असर

नहीं होने का ये ख़ून-ए-जिगर बंद

इमदाद अली बहर

ऐ मतवालो! नाक़ों वालो!!

इब्न-ए-इंशा

उलझनें इतनी थीं मंज़र और पस-मंज़र के बीच

हुसैन ताज रिज़वी

क्या कहूँ तुझ से मिरी जान मैं शब का अहवाल

हसरत अज़ीमाबादी

दिल ने पाया जो मिरे मुज़्दा तिरी पाती का

हसरत अज़ीमाबादी

सारे मामूलात में इक ताज़ा गर्दिश चाहिए

हकीम मंज़ूर

ग़ज़लें तो कही हैं कुछ हम ने उन से न कहा अहवाल तो क्या

हबीब जालिब

ग़ज़लें तो कही हैं कुछ हम ने उन से न कहा अहवाल तो क्या

हबीब जालिब

दिल पर जो ज़ख़्म हैं वो दिखाएँ किसी को क्या

हबीब जालिब

फ़क़त इक शग़्ल बेकारी है अब बादा-कशी अपनी

गोपाल मित्तल

जो दिलबर की मोहब्बत दिल से बदले

ग़ुलाम मौला क़लक़

'ग़ालिब' तिरा अहवाल सुना देंगे हम उन को

ग़ालिब

ता हम को शिकायत की भी बाक़ी न रहे जा

ग़ालिब

माना-ए-दश्त-नवर्दी कोई तदबीर नहीं

ग़ालिब

जुज़ क़ैस और कोई न आया ब-रू-ए-कार

ग़ालिब

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