अलम Poetry (page 5)

न दे जो दिल ही दुहाई तो कोई बात नहीं

इफ़तिख़ार अहमद फख्र

है ये शहर-ए-इश्क़ याँ आब-ओ-हवा कुछ और है

इफ़्फ़त अब्बास

न दिया बोसा-ए-लब खा के क़सम भूल गए

हातिम अली मेहर

तोड़ कर अहद-ए-करम ना-आश्ना हो जाइए

हसरत मोहानी

सितम हो जाए तम्हीद-ए-करम ऐसा भी होता है

हसरत मोहानी

क्या तुम को इलाज-ए-दिल-ए-शैदा नहीं आता

हसरत मोहानी

सूरत है वो ऐसी कि भुलाई नहीं जाती

हसन रिज़वी

सुब्ह-ए-तरब तो मस्त-ओ-ग़ज़ल-ख़्वाँ गुज़र गई

हसन नईम

इश्क़ के बाब में किरदार हूँ दीवाने का

हसन नईम

तुम आए जब नहीं नाकाम लौट जाने को

हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'

फिर उन की याद के दीपक जलाए हैं मैं ने

हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'

मिरी हयात अगर मुज़्दा-ए-सहर भी नहीं

हनीफ़ फ़ौक़

हर ज़र्रा चश्म-ए-शौक़-ए-सर-ए-रहगुज़र है आज

हमीद नागपुरी

फ़िक्र पाबंदी-ए-हालात से आगे न बढ़ी

हमीद नागपुरी

अभी तो मैं जवान हूँ

हफ़ीज़ जालंधरी

तिरे दिल में भी हैं कुदूरतें तिरे लब पे भी हैं शिकायतें

हफ़ीज़ जालंधरी

फिर लुत्फ़-ए-ख़लिश देने लगी याद किसी की

हफ़ीज़ जालंधरी

पैग़ाम ईद

हफ़ीज़ बनारसी

मता-ए-ग़ैर

हबीब जालिब

शहर वीराँ उदास हैं गलियाँ

हबीब जालिब

कम पुराना बहुत नया था फ़िराक़

हबीब जालिब

'फ़ैज़' और 'फ़ैज़' का ग़म भूलने वाला है कहीं

हबीब जालिब

चूर था ज़ख़्मों से दिल ज़ख़्मी जिगर भी हो गया

हबीब जालिब

शराब पी जान तन में आई अलम से था दिल कबाब कैसा

हबीब मूसवी

जब शाम हुई दिल घबराया लोग उठ के बराए सैर चले

हबीब मूसवी

है नौ-जवानी में ज़ोफ़-ए-पीरी बदन में रअशा कमर में ख़म है

हबीब मूसवी

फ़िराक़ में दम उलझ रहा है ख़याल-ए-गेसू में जांकनी है

हबीब मूसवी

याद करने का तुम्हें कोई इरादा भी न था

गुलनार आफ़रीन

न साथ देगा कोई राह आश्ना मेरा

गुलनार आफ़रीन

हमारा नाम पुकारे हमारे घर आए

गुलनार आफ़रीन

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