अंदर Poetry (page 33)

यही इक जिस्म-ए-फ़ानी जावेदानी का अहाता करने वाला है

ऐनुद्दीन आज़िम

पाँव फँसे में हाथ छुड़ाने आया था

ऐनुद्दीन आज़िम

मुझ को ना-कर्दा गुनह का मो'तरिफ़ होना पड़ा

ऐन ताबिश

ग़ुबार-ए-जहाँ में छुपे बा-कमालों की सफ़ देखता हूँ

ऐन ताबिश

रात इक हादसा हुआ मुझ में

ऐन इरफ़ान

क्या किसी बात की सज़ा है मुझे

ऐन इरफ़ान

लुटेरों के लिए सोती हैं आँखें

अहसन यूसुफ़ ज़ई

जहाँ शीशा है पत्थर जागते हैं

अहसन यूसुफ़ ज़ई

बेचैन दिल है फिर भी चेहरे पे दिलकशी है

अहसन इमाम अहसन

इल्म की ज़रूरत

अहमक़ फफूँदवी

उम्र का आख़िरी दिन

अहमद ज़फ़र

फूल बाहर है कि अंदर है मिरे सीने में

अहमद शनास

बहुत छोटा सफ़र था ज़िंदगी का

अहमद शनास

यहाँ हर लफ़्ज़ मअनी से जुदा है

अहमद शनास

फूलों में एक रंग है आँखों के नीर का

अहमद शनास

मेरी रातों का सफ़र तूर नहीं हो सकता

अहमद शनास

मैं फ़तह-ए-ज़ात मंज़र तक न पहुँचा

अहमद शनास

है वाहिमों का तमाशा यहाँ वहाँ देखो

अहमद शनास

बस इक जहान-ए-तहय्युर से आने वाला है

अहमद शनास

जो दिख रहा उसी के अंदर जो अन-दिखा है वो शायरी है

अहमद सलमान

जो दिख रहा उसी के अंदर जो अन-दिखा है वो शाइरी है

अहमद सलमान

बुझती हुई आँखों का अकेला वो दिया था

अहमद सज्जाद बाबर

चाहे हैं तमाशा मिरे अंदर कई मौसम

अहमद सग़ीर सिद्दीक़ी

आता ही नहीं होने का यक़ीं क्या बात करूँ

अहमद रिज़वान

नज़्म

अहमद राही

किस रक़्स-ए-जान-आे-तन में मिरा दिल नहीं रहा

अहमद मुश्ताक़

इक फूल मेरे पास था इक शम्अ' मेरे साथ थी

अहमद मुश्ताक़

बरस कर खुल गया अब्र-ए-ख़िज़ाँ आहिस्ता आहिस्ता

अहमद मुश्ताक़

मिरे अंदर रवानी ख़त्म होती जा रही है

अहमद ख़याल

तुझ से बिछड़ूँ तो तिरी ज़ात का हिस्सा हो जाऊँ

अहमद कमाल परवाज़ी

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