फूल बाहर है कि अंदर है मिरे सीने में
चाँद रौशन है कि मैं आप ही ताबिंदा हूँ
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है वाहिमों का तमाशा यहाँ वहाँ देखो
एक बच्चा ज़ेहन से पैसा कमाने की मशीन
बस इक जहान-ए-तहय्युर से आने वाला है
सुब्ह-ए-वजूद हूँ कि शब-ए-इंतिज़ार हूँ
जिस्म के बयाबाँ में दर्द की दुआ माँगें
ज़माना हो गया है ख़्वाब देखे
मैं उस की पहचान हूँ या वो मेरी
ये वक़्त रौशनी का मुख़्तसर है
वो मेरे अलावा मुझे चाहता है
पॉप धमाके में हम भक्ती ढूँड रहे हैं
पस-ए-ख़याल हूँ कितना ज़ुहूर कितना हूँ
लफ़्ज़ों की दस्तरस में मुकम्मल नहीं हूँ मैं