रविश सिद्दीक़ी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का रविश सिद्दीक़ी
नाम | रविश सिद्दीक़ी |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Ravish Siddiqi |
जन्म की तारीख | 1911 |
मौत की तिथि | 1971 |
ज़िंदगी महव-ए-ख़ुद-आराई थी
वो शख़्स अपनी जगह है मुरक़्क़ा-ए-तहज़ीब
वो कहाँ दर्द जो दिल में तिरे महदूद रहा
उर्दू जिसे कहते हैं तहज़ीब का चश्मा है
तल्ख़ी-ए-ज़िंदगी अरे तौबा
सख़्त जान-लेवा है सादगी मोहब्बत की
नक़ाब-ए-शब में छुप कर किस की याद आई समझते हैं
लड़खड़ाना भी है तकमील-ए-सफ़र की तम्हीद
कोह संगीन हक़ाएक़ था जहाँ
ख़ून-ए-दिल सर्फ़ कर रहा हूँ 'रविश'
जो राह अहल-ए-ख़िरद के लिए है ला-महदूद
इश्क़ ख़ुद अपनी जगह मज़हर-ए-अनवार-ए-ख़ुदा
हज़ार रुख़ तिरे मिलने के हैं न मिलने में
हज़ार हुस्न दिल-आरा-ए-दो-जहाँ होता
दिल गवारा नहीं करता है शिकस्त-ए-उम्मीद
दर्द आलूदा-ए-दरमाँ था 'रविश'
बुतान-ए-शहर को ये ए'तिराफ़ हो कि न हो
अब इस से क्या ग़रज़ ये हरम है कि दैर है
ज़िंदगी जब से शनासा-ए-मुहालात हुई
ज़हर-ए-चश्म-ए-साक़ी में कुछ अजीब मस्ती है
वो निकहत-ए-गेसू फिर ऐ हम-नफ़साँ आई
वो बर्क़-ए-नाज़ गुरेज़ाँ नहीं तो कुछ भी नहीं
उस से बढ़ कर तो कोई बे-सर-ओ-सामाँ न मिला
उम्र-ए-अबद से ख़िज़्र को बे-ज़ार देख कर
तुझ पे खुल जाए कि क्या मेहर को शबनम से मिला
सुकूँ है हमनवा-ए-इज़्तिराब आहिस्ता आहिस्ता
शिकस्त-ए-रंग-ए-तमन्ना को अर्ज़-ए-हाल कहूँ
सवाल-ए-इश्क़ पर ता-हश्र चुप रहना पड़ा मुझ को
रंग उस महफ़िल-ए-तमकीं में जमाया न गया
रंग पर जब वो बज़्म-ए-नाज़ आई