वो कहाँ दर्द जो दिल में तिरे महदूद रहा
दर्द वो है जो दिल-ए-कौन-ओ-मकाँ तक पहुँचे
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लड़खड़ाना भी है तकमील-ए-सफ़र की तम्हीद
अहद-ओ-पैमाँ कर के पैमाने के साथ
फ़रोग़-ए-गुल से अलग बर्क़-ए-आशियाँ से अलग
पास-ए-वहशत है तो याद-ए-रुख़-ए-लैला भी न कर
क्या कहूँ क्या मिला है क्या न मिला
इल्तिफ़ात-आश्ना हिजाब तिरा
सुकूँ है हमनवा-ए-इज़्तिराब आहिस्ता आहिस्ता
उम्र-ए-अबद से ख़िज़्र को बे-ज़ार देख कर
ख़ून-ए-दिल सर्फ़ कर रहा हूँ 'रविश'
वो निकहत-ए-गेसू फिर ऐ हम-नफ़साँ आई
कौन कहता मुझे शाइस्ता-ए-तहज़ीब-ए-जुनूँ