वो शख़्स अपनी जगह है मुरक़्क़ा-ए-तहज़ीब
ये और बात है कि क़ातिल उसी का नाम भी है
Anwar Masood
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Habib Jalib
Wasi Shah
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Gulzar
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(555) Peoples Rate This
दौर-ए-सबूही शोला-ए-मीना रक़्साँ छाँव में तारों की
फ़रोग़-ए-गुल से अलग बर्क़-ए-आशियाँ से अलग
सुकूँ है हमनवा-ए-इज़्तिराब आहिस्ता आहिस्ता
लगी है भीड़ बड़ा मय-कदे का नाम भी है
वो निकहत-ए-गेसू फिर ऐ हम-नफ़साँ आई
बुतान-ए-शहर को ये ए'तिराफ़ हो कि न हो
जो राह अहल-ए-ख़िरद के लिए है ला-महदूद
ज़िंदगी जब से शनासा-ए-मुहालात हुई
तल्ख़ी-ए-ज़िंदगी अरे तौबा
वो कहाँ दर्द जो दिल में तिरे महदूद रहा
कहीं फ़साना-ए-ग़म है कहीं ख़ुशी की पुकार
शिकस्त-ए-रंग-ए-तमन्ना को अर्ज़-ए-हाल कहूँ