तल्ख़ी-ए-ज़िंदगी अरे तौबा
ज़हर में ज़हर का मज़ा न मिला
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Gulzar
Javed Akhtar
Anwar Masood
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(539) Peoples Rate This
ज़हर-ए-चश्म-ए-साक़ी में कुछ अजीब मस्ती है
पास-ए-वहशत है तो याद-ए-रुख़-ए-लैला भी न कर
शिकस्त-ए-रंग-ए-तमन्ना को अर्ज़-ए-हाल कहूँ
निकहत-ए-ज़ुल्फ़ को हम-रिश्ता-ए-जाँ कहता हूँ
रब्त-ए-पिन्हाँ की सदाक़त है न मिलना तेरा
तुझ पे खुल जाए कि क्या मेहर को शबनम से मिला
अहद-ओ-पैमाँ कर के पैमाने के साथ
हज़ार हुस्न दिल-आरा-ए-दो-जहाँ होता
कौन कहता मुझे शाइस्ता-ए-तहज़ीब-ए-जुनूँ
चला है ले के मुझे ज़ौक़-ए-जुस्तुजू मेरा
हज़ार रुख़ तिरे मिलने के हैं न मिलने में
दौर-ए-सबूही शोला-ए-मीना रक़्साँ छाँव में तारों की