Ghazals of Ravish Siddiqi
नाम | रविश सिद्दीक़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Ravish Siddiqi |
जन्म की तारीख | 1911 |
मौत की तिथि | 1971 |
ज़िंदगी जब से शनासा-ए-मुहालात हुई
ज़हर-ए-चश्म-ए-साक़ी में कुछ अजीब मस्ती है
वो निकहत-ए-गेसू फिर ऐ हम-नफ़साँ आई
वो बर्क़-ए-नाज़ गुरेज़ाँ नहीं तो कुछ भी नहीं
उस से बढ़ कर तो कोई बे-सर-ओ-सामाँ न मिला
उम्र-ए-अबद से ख़िज़्र को बे-ज़ार देख कर
तुझ पे खुल जाए कि क्या मेहर को शबनम से मिला
सुकूँ है हमनवा-ए-इज़्तिराब आहिस्ता आहिस्ता
शिकस्त-ए-रंग-ए-तमन्ना को अर्ज़-ए-हाल कहूँ
सवाल-ए-इश्क़ पर ता-हश्र चुप रहना पड़ा मुझ को
रंग उस महफ़िल-ए-तमकीं में जमाया न गया
रंग पर जब वो बज़्म-ए-नाज़ आई
रब्त-ए-पिन्हाँ की सदाक़त है न मिलना तेरा
पशेमाँ हैं तर्क-ए-मोहब्बत के बा'द
पास-ए-वहशत है तो याद-ए-रुख़-ए-लैला भी न कर
निकहत-ए-ज़ुल्फ़ को हम-रिश्ता-ए-जाँ कहता हूँ
नक़ाब-ए-शब में छुप कर किस की याद आई समझते हैं
लगी है भीड़ बड़ा मय-कदे का नाम भी है
क्या सितम कर गई ऐ दोस्त तिरी चश्म-ए-करम
क्या कहूँ क्या मिला है क्या न मिला
ख़्वाब-ए-दीदार न देखा हम ने
ख़िरद को गुमशुदा-ए-कू-ब-कू समझते हैं
ख़ल्वती-ए-ख़याल को होश में कोई लाए क्यूँ
कौन कहता मुझे शाइस्ता-ए-तहज़ीब-ए-जुनूँ
कहने को सब फ़साना-ए-ग़ैब-ओ-शुहूद था
कहीं फ़साना-ए-ग़म है कहीं ख़ुशी की पुकार
इश्क़ की शरह-ए-मुख़्तसर के लिए
इश्क़ दुश्वार नहीं ख़ुश-नज़री मुश्किल है
इल्तिफ़ात-आश्ना हिजाब तिरा
हुस्न-ए-असनाम ब-हर-लम्हा फ़ुज़ूँ है कि नहीं