दर्द आलूदा-ए-दरमाँ था 'रविश'
दर्द को दर्द बनाया हम ने
Wasi Shah
Rahat Indori
Allama Iqbal
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Gulzar
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लगी है भीड़ बड़ा मय-कदे का नाम भी है
ख़्वाब-ए-दीदार न देखा हम ने
इश्क़ ख़ुद अपनी जगह मज़हर-ए-अनवार-ए-ख़ुदा
वो बर्क़-ए-नाज़ गुरेज़ाँ नहीं तो कुछ भी नहीं
जो राह अहल-ए-ख़िरद के लिए है ला-महदूद
हम मय-कशों के क़दमों पर अक्सर
कौन कहता मुझे शाइस्ता-ए-तहज़ीब-ए-जुनूँ
पास-ए-वहशत है तो याद-ए-रुख़-ए-लैला भी न कर
पशेमाँ हैं तर्क-ए-मोहब्बत के बा'द
क्या कहूँ क्या मिला है क्या न मिला
वो निकहत-ए-गेसू फिर ऐ हम-नफ़साँ आई