रविश सिद्दीक़ी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का रविश सिद्दीक़ी (page 2)
नाम | रविश सिद्दीक़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Ravish Siddiqi |
जन्म की तारीख | 1911 |
मौत की तिथि | 1971 |
रब्त-ए-पिन्हाँ की सदाक़त है न मिलना तेरा
पशेमाँ हैं तर्क-ए-मोहब्बत के बा'द
पास-ए-वहशत है तो याद-ए-रुख़-ए-लैला भी न कर
निकहत-ए-ज़ुल्फ़ को हम-रिश्ता-ए-जाँ कहता हूँ
नक़ाब-ए-शब में छुप कर किस की याद आई समझते हैं
लगी है भीड़ बड़ा मय-कदे का नाम भी है
क्या सितम कर गई ऐ दोस्त तिरी चश्म-ए-करम
क्या कहूँ क्या मिला है क्या न मिला
ख़्वाब-ए-दीदार न देखा हम ने
ख़िरद को गुमशुदा-ए-कू-ब-कू समझते हैं
ख़ल्वती-ए-ख़याल को होश में कोई लाए क्यूँ
कौन कहता मुझे शाइस्ता-ए-तहज़ीब-ए-जुनूँ
कहने को सब फ़साना-ए-ग़ैब-ओ-शुहूद था
कहीं फ़साना-ए-ग़म है कहीं ख़ुशी की पुकार
इश्क़ की शरह-ए-मुख़्तसर के लिए
इश्क़ दुश्वार नहीं ख़ुश-नज़री मुश्किल है
इल्तिफ़ात-आश्ना हिजाब तिरा
हुस्न-ए-असनाम ब-हर-लम्हा फ़ुज़ूँ है कि नहीं
हम मय-कशों के क़दमों पर अक्सर
हवस-ए-ख़लवत-ए-ख़ुर्शीद-ओ-निशाँ और सही
फ़रोग़-ए-गुल से अलग बर्क़-ए-आशियाँ से अलग
एक लग़्ज़िश में दर-ए-पीर-ए-मुग़ाँ तक पहुँचे
दौर-ए-सबूही शोला-ए-मीना रक़्साँ छाँव में तारों की
चला है ले के मुझे ज़ौक़-ए-जुस्तुजू मेरा
बुत-गर है न कोई बुत-शिकन है
बादा-ए-गुल को सब अंदोह-रुबा कहते हैं
अहद-ओ-पैमाँ कर के पैमाने के साथ