वो मेरे अलावा मुझे चाहता है
बड़ी मुख़्तलिफ़ है कहानी की सूरत
Gulzar
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Rahat Indori
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(973) Peoples Rate This
मैं बात करने लगा था कि लफ़्ज़ गूँगे हुए
यहाँ हर लफ़्ज़ मअनी से जुदा है
सात क़ुल्ज़ुम हैं मिरे सीने में
ख़ुद को पाया था न खोया मैं ने
बग़ैर-ए-जिस्म भी है जिस्म का एहसास ज़िंदा
मिरी आँखों में आ दिल में उतर पैवंद-ए-जाँ हो जा
बस इक जहान-ए-तहय्युर से आने वाला है
लफ़्ज़ों की दस्तरस में मुकम्मल नहीं हूँ मैं
लम्हा लम्हा रोज़ ओ शब को देर होती जाएगी
मैं उस की पहचान हूँ या वो मेरी
इमरोज़ की कश्ती को डुबोने के लिए हूँ
कौन क़तरे में उठाता है तलातुम