मेरी रातों का सफ़र तूर नहीं हो सकता

मेरी रातों का सफ़र तूर नहीं हो सकता

तू न चाहे तो बयाँ नूर नहीं हो सकता

मैं ने हिजरत के कई दौर कड़े देखे हैं

मैं किताबों से कभी दूर नहीं हो सकता

मेरी फ़ितरत कि मैं खिल जाता हूँ बे-मौसम भी

मेरी आदत कि मैं मजबूर नहीं हो सकता

तू ने किस शौक़ से लिक्खा है तआरुफ़ मेरा

मैं किसी लफ़्ज़ में महसूर नहीं हो सकता

मेरे अंदर भी तिरे नाम की चिंगारी है

तू मिरे वास्ते क्यूँ तूर नहीं हो सकता

जो यहाँ लफ़्ज़ की सरहद के उधर रहता है

बस्तियों में कभी मशहूर नहीं हो सकता

ज़िंदा इंसाँ उसे आबाद किया करते हैं

घर किसी ख़्वाब से मामूर नहीं हो सकता

घर के बाहर सभी लफ़्ज़ों के तमाशाई हैं

घर के अंदर कोई मसरूर नहीं हो सकता

जिस्म के सारे तक़ाज़े हैं अधूरे 'अहमद'

ये तसव्वुर कभी भरपूर नहीं हो सकता

(606) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Meri Raaton Ka Safar Tur Nahin Ho Sakta In Hindi By Famous Poet Ahmad Shanas. Meri Raaton Ka Safar Tur Nahin Ho Sakta is written by Ahmad Shanas. Complete Poem Meri Raaton Ka Safar Tur Nahin Ho Sakta in Hindi by Ahmad Shanas. Download free Meri Raaton Ka Safar Tur Nahin Ho Sakta Poem for Youth in PDF. Meri Raaton Ka Safar Tur Nahin Ho Sakta is a Poem on Inspiration for young students. Share Meri Raaton Ka Safar Tur Nahin Ho Sakta with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.