आंख Poetry (page 58)

ताबीर बताई जा चुकी है

अहमद अता

सफ़्हा-ए-ज़ीस्त जब पढूँगा तुम्हें

अहमद अता

मिरे लिए तिरा होना अहम ज़ियादा है

अहमद अता

दोनों के जो दरमियाँ ख़ला है

अहमद अता

वो हस्ब-ए-वादा न आया तो आँख भर आई

अहमद अली बर्क़ी आज़मी

नर्म रेशम सी मुलाएम किसी मख़मल की तरह

आग़ाज़ बलडांवी

ये कैसे बाल खोले आए क्यूँ सूरत बनी ग़म की

आग़ा शायर

उन्स अपने में कहीं पाया न बेगाने में था

आग़ा शाएर क़ज़लबाश

रुख़्सार के परतव से बिजली की नई धज है

आग़ा शाएर क़ज़लबाश

शाख़-ए-गुल झूम के गुलज़ार में सीधी जो हुई

आग़ा हज्जू शरफ़

वो रंगत तू ने ऐ गुल-रू निकाली

आग़ा हज्जू शरफ़

तिरे वास्ते जान पे खेलेंगे हम ये समाई है दिल में ख़ुदा की क़सम

आग़ा हज्जू शरफ़

सन्नाटे का आलम क़ब्र में है है ख़्वाब-ए-अदम आराम नहीं

आग़ा हज्जू शरफ़

रंग जिन के मिट गए हैं उन में यार आने को है

आग़ा हज्जू शरफ़

लुटाते हैं वो बाग़-ए-इश्क़ जाए जिस का जी चाहे

आग़ा हज्जू शरफ़

किस के हाथों बिक गया किस के ख़रीदारों में हूँ

आग़ा हज्जू शरफ़

न रोना रह गया बाक़ी न हँसना रह गया बाक़ी

अफ़ज़ाल नवेद

मकान-ए-ख़्वाब में जंगल की बास रहने लगी

अफ़ज़ाल नवेद

चुप रहे तो शहर की हंगामा आराई मिली

अफ़ज़ल मिनहास

मिरी तो आँख मिरा ख़्वाब टूटने से खुली

अफ़ज़ल गौहर राव

ज़मीं से आगे भला जाना था कहाँ मैं ने

अफ़ज़ल गौहर राव

हिज्र में इतना ख़सारा तो नहीं हो सकता

अफ़ज़ल गौहर राव

मिरी दीवानगी की हद न पूछो तुम कहाँ तक है

अफ़ज़ल इलाहाबादी

जंगल के पास एक औरत

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

अगर उन्हें मालूम हो जाए

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

वैसे तो बहुत धोया गया घर का अंधेरा

आफ़ताब इक़बाल शमीम

ज़रा सी देर को चमका था वो सितारा कहीं

आफ़ताब हुसैन

किसी तरह भी तो वो राह पर नहीं आया

आफ़ताब हुसैन

किसी नज़र ने मुझे जाम पर लगाया हुआ है

आफ़ताब हुसैन

गुज़रते वक़्त की कोई निशानी साथ रखता हूँ

आफ़ताब हुसैन

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