असर Poetry (page 12)

शिकस्ता-दिल अँधेरी शब अकेला राहबर क्यूँ हो

इन्दिरा वर्मा

शफ़क़ के रंग निकलने के बाद आई है

इन्दिरा वर्मा

हर बे-ख़ता है आज ख़ता-कार देखना

इम्तियाज़ साग़र

कोई तो है जो आहों में असर आने नहीं देता

इमरान-उल-हक़ चौहान

लोग पाबंद-ए-सलासिल हैं मगर ख़ामोश हैं

इमरान शनावर

रौशन हज़ार चंद हैं शम्स-ओ-क़मर से आप

इमदाद अली बहर

नफ़्स-ए-सरकश को क़त्ल कर ऐ दिल

इमदाद अली बहर

जज़्ब-ए-उल्फ़त ने दिखाया असर अपना उल्टा

इमदाद अली बहर

इस तरह ज़ीस्त बसर की कोई पुरसाँ न हुआ

इमदाद अली बहर

हम ख़िज़ाँ की अगर ख़बर रखते

इमदाद अली बहर

ग़ज़ब है देखने में अच्छी सूरत आ ही जाती है

इमदाद अली बहर

तुम्हारे जाते ही हर चश्म-ए-तर को देखते हैं

इमाम अाज़म

ये बहार वो है जहाँ रही असर-ए-ख़िज़ाँ से बरी रही

इलियास इश्क़ी

सज़ा ही दी है दुआओं में भी असर दे कर

इफ़्तिख़ार नसीम

मैं ज़िंदगी की दुआ माँगने लगा हूँ बहुत

इफ़्तिख़ार आरिफ़

मोहब्बत की एक नज़्म

इफ़्तिख़ार आरिफ़

मिरे ख़ुदा मुझे इतना तो मो'तबर कर दे

इफ़्तिख़ार आरिफ़

अना ने टूट के कुछ फ़ैसला किया ही नहीं

इब्राहीम अश्क

फिर से वो लौट कर नहीं आया

इब्न-ए-मुफ़्ती

फिर से वो लौट कर नहीं आया

इब्न-ए-मुफ़्ती

शाम-ए-ग़म की सहर नहीं होती

इब्न-ए-इंशा

फिर तिरा शहर तिरी राहगुज़र हो कि न हो

हुसैन ताज रिज़वी

उन के सब झूट मो'तबर ठहरे

हिना हैदर

नाला-ए-ग़म शो'ला-असर चाहिए

हिमायत अली शाएर

तुम भी निगाह में हो अदू भी नज़र में है

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

ये और बात है हर शख़्स के गुमाँ में नहीं

हीरा लाल फ़लक देहलवी

सुकून-ए-दिल के लिए और क़रार-ए-जाँ के लिए

हीरा लाल फ़लक देहलवी

रंग-आमेज़ी से पैदा कुछ असर ऐसा हुआ

हीरा लाल फ़लक देहलवी

मिरे रियाज़ का आख़िर असर दिखाई दिया

हज़ीं लुधियानवी

करते हैं शौक़-ए-दीद में बातें हवा से हम

हातिम अली मेहर

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