बाद Poetry (page 12)

इक़बाल

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

दरीचा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

याद-ए-ग़ज़ाल-चश्माँ ज़िक्र-ए-समन-अज़ाराँ

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

याद का फिर कोई दरवाज़ा खुला आख़िर-ए-शब

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

वो बुतों ने डाले हैं वसवसे कि दिलों से ख़ौफ़-ए-ख़ुदा गया

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

किस शहर न शोहरा हुआ नादानी-ए-दिल का

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

राहदारी में गूँजती नज़्म

फ़हीम शनास काज़मी

आज दिल है कि सर-ए-शाम बुझा लगता है

एज़ाज़ अफ़ज़ल

मौसम से रंग-ओ-बू हैं ख़फ़ा देखते चलो

एहसान दानिश

जबीं की धूल जिगर की जलन छुपाएगा

एहसान दानिश

लग गए हैं फ़ोन लगने में जो पच्चीस साल

दिलावर फ़िगार

कब ख़मोशी को मोहब्बत की ज़बाँ समझा था मैं

दर्शन सिंह

बहुत मुश्किल है तर्क-ए-आरज़ू रब्त-आश्ना हो कर

दर्शन सिंह

चश्म-ए-वा ही न हुई जल्वा-नुमा क्या होता

दानियाल तरीर

इन आँखों ने क्या क्या तमाशा न देखा

दाग़ देहलवी

देख कर जौबन तिरा किस किस को हैरानी हुई

दाग़ देहलवी

कुछ ऐसा पास-ए-ग़ैरत उठ गया इस अहद-ए-पुर-फ़न में

चकबस्त ब्रिज नारायण

कैसे कहें कि चार तरफ़ दायरा न था

बिमल कृष्ण अश्क

हैं निकहत-ए-गुल बाग़ में ऐ बाद-ए-सबा हम

बेख़ुद देहलवी

बुत भी इस में रहते थे दिल यार का भी काशाना था

बेदम शाह वारसी

राज़ है इबरत-असर फ़ितरत की हर तहरीर का

बेबाक भोजपुरी

सुब्ह क़यामत आएगी कोई न कह सका कि यूँ

बयान मेरठी

ख़ाक करती है ब-रंग-ए-चर्ख़-ए-नीली-फ़ाम रक़्स

बयान मेरठी

दिल उचकेगी कि बिखरी है अड़ी है

बयान मेरठी

ये आरज़ू है कि वो नामा-बर से ले काग़ज़

बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान

ज़ौक़-ए-उल्फ़त अब भी है राहत का अरमाँ अब भी है

बशीरुद्दीन अहमद देहलवी

यूँ खुल गया है राज़-ए-शिकस्त-ए-तलब कभी

बशीर ज़ैदी असीर

इक परी के साथ मौजों पर टहलता रात को

बशीर बद्र

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