बादल Poetry (page 11)

वो खुल कर मुझ से मिलता भी नहीं है

फ़रहत क़ादरी

मसअला आज मिरे इश्क़ का तू हल कर दे

फ़रहत नदीम हुमायूँ

इक हवा आई है दीवार में दर करने को

फ़रहत एहसास

देखते ही देखते खोने से पहले देखते

फ़रहत एहसास

ग़म का बादल

फ़रीद इशरती

सारे मंज़र दिलकश थे हर बात सुहानी लगती थी

फ़रह इक़बाल

मुद्दतों हम से मुलाक़ात नहीं करते हैं

फ़रह इक़बाल

हमें तो साथ चलने का हुनर अब तक नहीं आया

फ़रह इक़बाल

जिस दिन से कोई ख़्वाहिश-ए-दुनिया नहीं रखता

फ़राग़ रोहवी

तपता सूरज शाम को ढल जाएगा

फ़ैज़ी सम्बलपुरी

मरसिए

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

'शोपीं' का नग़्मा बजता है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

कब तक दिल की ख़ैर मनाएँ कब तक रह दिखलाओगे

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

नमक की रोज़ मालिश कर रहे हैं

फ़हमी बदायूनी

जान-ए-अय्याम-ए-दिलबरी है याद

फ़ाएज़ देहलवी

उस ने देखा था अजब एक तमाशा मुझ में

एजाज़ उबैद

जो जा चुके हैं ग़ालिबन उतरें कभी ज़ीना तिरा

एजाज़ उबैद

गले लग कर मिरे वो जाने हँसता था कि रोता था

एजाज़ उबैद

अपना अपना रंग

एजाज़ फ़ारूक़ी

मंज़र है अभी दूर ज़रा हद्द-ए-नज़र से

डॉ. पिन्हाँ

कुछ आदमी समाज पे बोझल हैं आज भी

दिवाकर राही

जो भी निकले तिरी आवाज़ लगाता निकले

दिनेश नायडू

क्या चाहा था क्या सोचा था क्या गुज़री क्या बात हुई

देवमणि पांडेय

ख़त्म है बादल की जब से साएबानी धूप में

चाँदनी पांडे

किधर जाऊँ कहीं रस्ता नहीं है

बिमल कृष्ण अश्क

चाँद को रेशमी बादल से उलझता देखूँ

बिमल कृष्ण अश्क

काँटे हों या फूल अकेले चुनना होगा

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

कुछ न कुछ सिलसिला ही बन जाता

भारत भूषण पन्त

ख़्वाब जीने नहीं देंगे तुझे ख़्वाबों से निकल

भारत भूषण पन्त

कभी सुकूँ कभी सब्र-ओ-क़रार टूटेगा

भारत भूषण पन्त

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