बहाने Poetry (page 6)

अब उजड़ने के हम न बसने के

बकुल देव

मिरे मिज़ाज को सूरज से जोड़ता क्यूँ है

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

कभी क़रीब कभी दूर हो के रोते हैं

अज़हर इनायती

कमी है कौन सी घर में दिखाने लग गए हैं

अज़हर फ़राग़

डरे हुए हैं सभी लोग अब्र छाने से

अज़हर फ़राग़

वक़्त ने लूटे हैं हस्ती के ख़ज़ाने कितने

अतीब एजाज़

दर्द की जोत मिरे दिल में जगाने वाले

असरा रिज़वी

बचपन के हैं ख़्वाब सुहाने तितली फूल और मैं

असलम फ़ैज़ी

अपनी हालत पे आँसू बहाने लगे

आसिमा ताहिर

ये न आने के बहाने हैं सभी वर्ना मियाँ

आसिफ़ुद्दौला

किस क़दर दर्द के शब करता था मज़कूर तिरा

आसिफ़ुद्दौला

हम आइने में तिरा अक्स देखने के लिए

अशफ़ाक़ नासिर

अक्स को फूल बनाने में गुज़र जाती है

अशफ़ाक़ नासिर

अगर ख़ुशी में तुझे गुनगुनाते लगते हैं

अशफ़ाक़ नासिर

मेरा बचपन ही मुझे याद दिलाने आए

असग़र मेहदी होश

मैं आलम-ए-इम्काँ में जिसे ढूँढ रहा हूँ

अर्श सिद्दीक़ी

मैं क्यूँ भूल जाऊँ

अर्श मलसियानी

गुज़रते दिन के दुखों का पता तो देता था

अरमान नज्मी

अपने अहबाब को अशआ'र सुनाने निकला

आरिफ़ अंसारी

जो हम-कलाम हो हम से उसी के होते हैं

अनवर शऊर

ज़िंदगी के हसीं बहाने से

अनवर साबरी

सितम सहने की तय्यारी भी कोई चीज़ होती है

अनुभव गुप्ता

आग बहते हुए पानी में लगाने आई

अंजुम रहबर

मिरा हर तीर निशाने पे न पहुँचा आख़िर

अनीस अंसारी

रोने वाले तुझे रोने का सलीक़ा ही नहीं

आनंद नारायण मुल्ला

बन गए दिल के फ़साने क्या क्या

अमीता परसुराम 'मीता'

सर-ए-मिज़्गाँ

अम्बरीन सलाहुद्दीन

दिल जिन को ढूँढता है न-जाने कहाँ गए

अंबरीन हसीब अंबर

मुनाजात-ए-बेवा

अल्ताफ़ हुसैन हाली

मर्सिया-ए-देहली-ए-मरहूम

अल्ताफ़ हुसैन हाली

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