चाँद Poetry (page 5)

जो दश्त ख़्वाबों में अक्सर दिखाई देता है

वामिक़ जौनपुरी

बर्क़ सर-ए-शाख़-सार देखिए कब तक रहे

वामिक़ जौनपुरी

साथ ग़ैरों के है सदा गट-पट

वलीउल्लाह मुहिब

हुस्न पर बोझ हुए उस के ही वा'दे अब तो

वली आलम शाहीन

मैं जब छोटा सा था काग़ज़ पे ये मंज़र बनाता था

वाली आसी

लजयाई से नाज़ुक है ऐ जान बदन तेरा

वाजिद अली शाह अख़्तर

गुल ग़ुंचे आफ़्ताब शफ़क़ चाँद कहकशाँ

वाहिद प्रेमी

ख़ाक के पुतलों में पत्थर के बदन को वास्ता

वहाब दानिश

तिरी जब नींद का दफ़्तर खुला था

विशाल खुल्लर

ज़र्रों की बातों में आने वाला था

विकास शर्मा राज़

हवा के साथ यारी हो गई है

विकास शर्मा राज़

बारा चाँद गए पूनम के प्यार भरा इक सावन भी

विजय शर्मा अर्श

दूसरी रात

वर्षा गोरछिया

दुआ

वर्षा गोरछिया

किसे बताऊँ कि ग़म क्या है सरख़ुशी क्या है

उरूज ज़ैदी बदायूनी

ख़ुद सवाल-ओ-जवाब करते रहो

उर्मिलामाधव

तअ'स्सुब की फ़ज़ा में ता'ना-ए-किरदार क्या देता

उनवान चिश्ती

सारी दुनिया में दाना है अपने घर में कुछ भी नहीं

उनवान चिश्ती

तुम जिसे चाँद कहते हो वो अस्ल में

त्रिपुरारि

जाने फिर उस के दिल में क्या बात आ गई थी

त्रिपुरारि

हिज्राँ की शब जो दर्द के मारे उदास हैं

तिलोकचंद महरूम

मौज-ए-ख़याल में न किसी जल-परी में आए

तौक़ीर तक़ी

सदियों लहू से दिल की हिकायत लिखी गई

तसनीम फ़ारूक़ी

ग़मों की धूप में बरगद की छाँव जैसी है

तनवीर सिप्रा

इंतिज़ार

तनवीर अंजुम

अजीब शख़्स है पत्थर से पर बनाता है

तनवीर अहमद अल्वी

मैं चाँद भेज रहा हूँ कि तुम को देख आए

तालिब हुसैन तालिब

आज फिर चाँद देर से निकला

तालिब हुसैन तालिब

शराब शहर में नीलाम हो गई होगी

तालिब हुसैन तालिब

ख़िश्त-ए-जाँ दरमियान लाने में

तालिब हुसैन तालिब

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