चाँद Poetry (page 6)

भूली-बिसरी रात

तख़्त सिंह

हर अश्क तिरी याद का नक़्श-ए-कफ़-ए-पा है

तख़्त सिंह

एक एक क़तरा उस का शो'ला-फ़िशाँ सा है

तख़्त सिंह

काली घटा में चाँद ने चेहरा छुपा लिया

ताज सईद

इक उम्र हुई और मैं अपने से जुदा हूँ

ताबिश सिद्दीक़ी

बे-घरी

ताबिश कमाल

क्या कहूँ वो किधर नहीं रहता

ताबिश कमाल

हर-सू ख़ुशबू को फ़ज़ाओं में बिखरता देखूँ

सय्यदा नफ़ीस बानो शम्अ

इंसान की हालत पर अब वक़्त भी हैराँ है

सय्यद सग़ीर सफ़ी

आदमी

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

सूरज सितारे चाँद जो बर्बाद हो गए

सय्यद अारिफ़

इक चाँद है आवारा-ओ-बेताब ओ फ़लक-ताब

सय्यद अमीन अशरफ़

मुनव्वर और मुबहम इस्तिआरे देख लेता हूँ

सय्यद अमीन अशरफ़

दिल शहर-ए-तहय्युर है कि वो मम्लिकत-आरा

सय्यद अमीन अशरफ़

तुम मिरे पास रहो जिस्म की गरमी बख़्शो

सय्यद अहमद शमीम

था आईने के सामने चेहरा खुला हुआ

सय्यद अहमद शमीम

किस तरह ज़िंदा रहेंगे हम तुम्हारे शहर में

सय्यद अहमद शमीम

यही था वक़्फ़ तिरी महफ़िल-ए-तरब के लिए

सय्यद आबिद अली आबिद

ये धूप गिरी है जो मिरे लॉन में आ कर

स्वप्निल तिवारी

उस के होंटों पर सुर महका करते हैं

स्वप्निल तिवारी

तुम से इक दिन कहीं मिलेंगे हम

स्वप्निल तिवारी

समाअतों में बहुत दूर की सदा ले कर

स्वप्निल तिवारी

मिली है राहत हमें सफ़र से

स्वप्निल तिवारी

मिली है राहत हमें सफ़र से

स्वप्निल तिवारी

धीरे धीरे ढलते सूरज का सफ़र मेरा भी है

स्वप्निल तिवारी

अपने ख़्वाबों को इक दिन सजाते हुए

स्वप्निल तिवारी

ऐसी अच्छी सूरत निकली पानी की

स्वप्निल तिवारी

सती

सुरूर जहानाबादी

नोक-ए-शमशीर की घात का सिलसिला यूँ पस-ए-आइना कल उतारा गया

सूरज नारायण

ऐसा लगता है किसी गुम्बद से टकराई न थी

सूरज नारायण

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