किस तरह ज़िंदा रहेंगे हम तुम्हारे शहर में

किस तरह ज़िंदा रहेंगे हम तुम्हारे शहर में

हर तरफ़ बिखरे हुए हैं माह-पारे शहर में

जगमगाती रौशनी में ये नहाते सीम-तन

जैसे उतरे हों ज़मीं पर चाँद तारे शहर में

मिस्ल-ए-ख़ुशबू-ए-सबा फैली हुई है हर तरफ़

गेसू-ए-बंगाल की ख़ुशबू हमारे शहर में

हुस्न वालों के सितम सह कर भी हम ज़िंदा रहे

वर्ना कितनों के हुए हैं वारे न्यारे शहर में

ये मता-ए-पारसाई भी न लुट जाए कहीं

दे रहे हैं दावत-ए-लग़्ज़िश नज़ारे शहर में

लहलहाते खेत नद्दी गाँव की प्यारी हवा

छोड़ कर बेकार आए हम तुम्हारे शहर में

अपने ही ज़ौक़-ए-जमाल-ओ-हुस्न के हाथों 'शमीम'

आज हम बदनाम आवारा हैं सारे शहर में

(508) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Syed Ahmed Shameem. is written by Syed Ahmed Shameem. Complete Poem in Hindi by Syed Ahmed Shameem. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.