चंद्रमा Poetry (page 18)

ख़ुद अपनी लौ में था मेहराब-ए-जाँ में जलता था

सलीम अहमद

ख़ैर का तुझ को यक़ीं है और उस को शर का है

सलीम अहमद

बन के दुनिया का तमाशा मो'तबर हो जाएँगे

सलीम अहमद

बजा ये रौनक़-ए-महफ़िल मगर कहाँ हैं वो लोग

सलीम अहमद

वो ज़िंदा है

सलाम मछली शहरी

हर एक ज़र्रा बार-ए-अमानत से डर गया

सलाहुद्दीन नय्यर

तस्वीर-ए-चश्म-ए-यार का ख़्वाहाँ है बाग़बाँ

सख़ी लख़नवी

दिल कलेजे दिमाग़ सीना ओ चश्म

सख़ी लख़नवी

आँखों से पा-ए-यार लगाने की है हवस

सख़ी लख़नवी

इश्क़ है यार का ख़ुदा-हाफ़िज़

सख़ी लख़नवी

हम पे जौर-ओ-सितम के क्या मअनी

सख़ी लख़नवी

गुफ़्तुगू हो दबी ज़बान बहुत

सख़ी लख़नवी

दुआओं में असर बाक़ी न आहों में असर बाक़ी

सज्जाद शम्सी

ज़ख़्म खुले पड़ते हैं दिल के मौसम है ये बहारों का

सज्जाद बाक़र रिज़वी

जहाँ में रह के भी हम कब जहाँ में रहते हैं

सज्जाद बाक़र रिज़वी

हासिल-ए-ज़ीस्त इश्क़ ही तो नहीं

सज्जाद बाक़र रिज़वी

हर तमन्ना दिल से रुख़्सत हो गई

साजिद सिद्दीक़ी लखनवी

ज़मीं की आँख ख़ाली है दिनों ब'अद

साजिद हमीद

वो भी हमें सरगिराँ मिले हैं

सैफ़ुद्दीन सैफ़

बड़े ख़तरे में है हुस्न-ए-गुलिस्ताँ हम न कहते थे

सैफ़ुद्दीन सैफ़

कर के मसहूर मुझे चश्म-ए-करम से पहले

सैफ़ बिजनोरी

दिल इज़्तिराब में है जिगर इल्तिहाब में

साइब आसमी

आएँ वो लाख देखने वालों के सामने

साहिर सियालकोटी

मैं नहीं तो क्या

साहिर लुधियानवी

मैं ज़िंदा हूँ ये मुश्तहर कीजिए

साहिर लुधियानवी

जब कभी उन की तवज्जोह में कमी पाई गई

साहिर लुधियानवी

गाँधी

साहिर होशियारपुरी

सर-ए-अर्श-ए-बरीं है ज़ेर-ए-पा-ए-पीर-ए-मय-ख़ाना

साहिर देहल्वी

नूर-ए-ईमाँ सुर्मा-ए-चश्म-ए-दिल-ओ-जाँ कीजिए

साहिर देहल्वी

हौसला वज्ह-ए-तपिश-हा-ए-दिल-ओ-जाँ न हुआ

साहिर देहल्वी

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