कार्यालय Poetry (page 3)

दिन को दफ़्तर में अकेला शब भरे घर में अकेला

राजेन्द्र मनचंदा बानी

महताब नहीं निकला सितारे नहीं निकले

राजेन्द्र नाथ रहबर

हमें हमारी बीवियों से बचाओ

राजा मेहदी अली ख़ाँ

टहनी पे ख़मोश इक परिंदा

रईस अमरोहवी

उर्दू का जनाज़ा है ज़रा धूम से निकले

रईस अमरोहवी

रक़्साँ है मुंडेर पर कबूतर

रईस अमरोहवी

रक़्साँ है मुंडेर पर कबूतर

रईस अमरोहवी

प्रोफ़ेसर ही जब आते हों हफ़्ता-वार कॉलेज में

इनाम-उल-हक़ जावेद

ख़ुर्शीद फ़िराक़ में तपाँ है

इमदाद अली बहर

अपना अपना दुख बतलाना होता है

इलियास बाबर आवान

न जाने कब वो पलट आएँ दर खुला रखना

इफ़्तिख़ार नसीम

खज़ाना-ए-ज़र-ओ-गौहर पे ख़ाक डाल के रख

इफ़्तिख़ार आरिफ़

हो चुकी अब शाइ'री लफ़्ज़ों का दफ़्तर बाँध लो

हिमायत अली शाएर

वफ़ा के हैं ख़्वान पर निवाले ज़े-आब अव्वल दोअम ब-आतिश

हसरत अज़ीमाबादी

किसे बताऊँ कि वहशत का फ़ाएदा क्या है

हसन नईम

जब्र-ए-शही का सिर्फ़ बग़ावत इलाज है

हसन नईम

छाजों बरसती बारिश के बाद

हसन अब्बास रज़ा

अली-मोहसिन एम.बी.ए, ख़ालिद-बिन-वलीद रोड

हारिस ख़लीक़

ख़ामुशी से सवाल मेरा था

हरबंस तसव्वुर

बे-सूद एक सिलसिला-ए-इम्तिहाँ न खोल

हकीम मंज़ूर

ये किस मक़ाम पे लाई है ज़िंदगी हम को

हफ़ीज़ बनारसी

लब-ए-फ़ुरात वही तिश्नगी का मंज़र है

हफ़ीज़ बनारसी

हमारे अहद का मंज़र अजीब मंज़र है

हफ़ीज़ बनारसी

शब ख़ुमार-ए-शौक़-ए-साक़ी रुस्तख़ेज़-अंदाज़ा था

ग़ालिब

बज़्म-ए-शाहंशाह में अशआर का दफ़्तर खुला

ग़ालिब

रुख़ हवाओं के किसी सम्त हों मंज़र हैं वही

फ़ुज़ैल जाफ़री

मय-कदे में आज इक दुनिया को इज़्न-ए-आम था

फ़िराक़ गोरखपुरी

सुब्ह होती है तो दफ़्तर में बदल जाता है

फ़रियाद आज़र

सुब्ह होती है तो दफ़्तर में बदल जाता है

फ़रियाद आज़र

मुझे खोल ताज़ा हवा में रख

फर्रुख यार

Collection of Hindi Poetry. Get Best Hindi Shayari, Poems and ghazal. Read shayari Hindi, poetry by famous Hindi and Urdu poets. Share poetry hindi on Facebook, Whatsapp, Twitter and Instagram.