दर्द Poetry (page 46)

दिल पर लगा रही है वो नीची निगाह चोट

हफ़ीज़ जौनपुरी

अफ़्सुर्दगी-ए-दिल से ये रंग है सुख़न में

हफ़ीज़ जौनपुरी

क्यूँ हिज्र के शिकवे करता है क्यूँ दर्द के रोने रोता है

हफ़ीज़ जालंधरी

कोई दवा न दे सके मशवरा-ए-दुआ दिया

हफ़ीज़ जालंधरी

हाथ रख रख के वो सीने पे किसी का कहना

हफ़ीज़ जालंधरी

हाए कोई दवा करो हाए कोई दुआ करो

हफ़ीज़ जालंधरी

दोस्तों को भी मिले दर्द की दौलत या रब

हफ़ीज़ जालंधरी

अहल-ए-ज़बाँ तो हैं बहुत कोई नहीं है अहल-ए-दिल

हफ़ीज़ जालंधरी

कृष्ण कन्हैया

हफ़ीज़ जालंधरी

बसंती तराना

हफ़ीज़ जालंधरी

ये क्या मक़ाम है वो नज़ारे कहाँ गए

हफ़ीज़ जालंधरी

वो क़ाफ़िला आराम-तलब हो भी तो क्या हो

हफ़ीज़ जालंधरी

उन को जिगर की जुस्तुजू उन की नज़र को क्या करूँ

हफ़ीज़ जालंधरी

ओ दिल तोड़ के जाने वाले दिल की बात बताता जा

हफ़ीज़ जालंधरी

क्यूँ हिज्र के शिकवे करता है क्यूँ दर्द के रोने रोता है

हफ़ीज़ जालंधरी

कोई दवा न दे सके मशवरा-ए-दुआ दिया

हफ़ीज़ जालंधरी

इश्क़ ने हुस्न की बे-दाद पे रोना चाहा

हफ़ीज़ जालंधरी

इश्क़ में छेड़ हुई दीदा-ए-तर से पहले

हफ़ीज़ जालंधरी

हम ही में थी न कोई बात याद न तुम को आ सके

हफ़ीज़ जालंधरी

राज़-ए-सर-बस्ता मोहब्बत के ज़बाँ तक पहुँचे

हफ़ीज़ होशियारपुरी

मोहब्बत करने वाले कम न होंगे

हफ़ीज़ होशियारपुरी

इक उम्र से हम तुम आश्ना हैं

हफ़ीज़ होशियारपुरी

इश्क़ में मारका-ए-क़ल्ब-ओ-नज़र क्या कहिए

हफ़ीज़ बनारसी

ये और बात कि लहजा उदास रखते हैं

हफ़ीज़ बनारसी

कुछ सोच के परवाना महफ़िल में जला होगा

हफ़ीज़ बनारसी

जो पर्दों में ख़ुद को छुपाए हुए हैं

हफ़ीज़ बनारसी

जो पर्दों में ख़ुद को छुपाए हुए हैं

हफ़ीज़ बनारसी

जो ख़त है शिकस्ता है जो अक्स है टूटा है

हफ़ीज़ बनारसी

जब तसव्वुर में कोई माह-जबीं होता है

हफ़ीज़ बनारसी

दिल की आवाज़ में आवाज़ मिलाते रहिए

हफ़ीज़ बनारसी

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