दर्द Poetry (page 44)

एहसास-ए-ना-रसाई से जिस दम उदास था

हनीफ़ तरीन

आँखों पर पलकों का बोझ नहीं होता

हनीफ़ तरीन

फ़ज़ाओं में कुछ ऐसी खलबली थी

हनीफ़ फ़ौक़

जो इस ज़मीं से कभी फिर नुमू करूँगा मैं

हनीफ़ नज्मी

मैं जो अपने हाल से कट गया तो कई ज़मानों में बट गया

हनीफ़ असअदी

किसी के जौर-ए-मुसलसल का फ़ैज़ है 'अख़्गर'

हनीफ़ अख़गर

ख़ल्वत-ए-जाँ में तिरा दर्द बसाना चाहे

हनीफ़ अख़गर

शिकस्ता दिल किसी का हो हम अपना दिल समझते हैं

हनीफ़ अख़गर

ख़ल्वत-ए-जाँ में तिरा दर्द बसाना चाहे

हनीफ़ अख़गर

हाल-ए-दिल-ए-बीमार समझ में चारागरों की आए कम

हनीफ़ अख़गर

बस उसी का सफ़र-ए-शब में तलबगार है क्या

हामिदी काश्मीरी

तुम्हारे लब पे थी मैं भी

हमीदा शाहीन

सुब्ह भी अपनी शाम भी अपनी

हामिद इलाहाबादी

जज़्बात तेज़-रौ हैं कि चश्मे उबल पड़े

हामिद इलाहाबादी

फ़रेब दे न कहीं अज़्म-ए-मुस्तक़िल मेरा

हामिद इलाहाबादी

अब मिरा दर्द न तेरा जादू

हमीद नसीम

मुझे रहीन-ए-ग़म-ए-जाँ-नवाज़ रहने दे

हमीद नागपुरी

ख़ुद अपने आप से हम बे-ख़बर से गुज़रे हैं

हमीद नागपुरी

हर ज़र्रा चश्म-ए-शौक़-ए-सर-ए-रहगुज़र है आज

हमीद नागपुरी

छोड़िए छोड़िए ये बातें तो अफ़्साने हैं

हमीद जाज़िब

किस वहम में असीर तिरे मुब्तला हुए

हमीद जालंधरी

ऐ दोस्त दर्द-ए-दिल का मुदावा किया न जाए

हमीद जालंधरी

उस के करम से है न तुम्हारी नज़र से है

हमीद अलमास

चुरा के मेरे ताक़ से किताब कोई ले गया

हमीद अलमास

इक मुजस्सम दर्द हूँ इक आह हूँ

हमदुन उसमानी

मरता भला है ज़ब्त की ताक़त अगर न हो

हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा

दर्द को रहने भी दे दिल में दवा हो जाएगी

हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा

ये दर्द है हमदम उसी ज़ालिम की निशानी

हकीम नासिर

दो घड़ी दर्द ने आँखों में भी रहने न दिया

हकीम नासिर

हाए वो वक़्त-ए-जुदाई के हमारे आँसू

हकीम नासिर

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