दस्तक Poetry (page 4)

''दीवानों का नाम अबद तक होता है''

हनीफ़ तरीन

रात के दर पे ये दस्तक ये मुसलसल दस्तक

हनीफ़ फ़ौक़

जिस की सौंधी सौंधी ख़ुशबू आँगन आँगन पलती थी

हम्माद नियाज़ी

दिल के सूने सहन में गूँजी आहट किस के पाँव की

हम्माद नियाज़ी

तुलूअ' से पहले

हमीदा शाहीन

हो आँख अगर ज़िंदा गुज़रती है न क्या क्या

हकीम मंज़ूर

दिल पर दस्तक देने कौन आ निकला है

गुलज़ार

दस्तक

गुलज़ार

ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में

गुलज़ार

मता-ए-दीद तो क्या जानिए किस से इबारत है

ग़ुलाम हुसैन साजिद

दरख़्तों के लिए

फ़ाज़िल जमीली

ख़ुशबू है और धीमा सा दुख फैला है

फ़ातिमा हसन

सुनहरी दरवाज़े के बाहर

फ़ारूक़ नाज़की

मातम-ए-नीम-ए-शब

फ़ारूक़ नाज़की

दे रहे हैं लोग मेरे दिल पे दस्तक बार बार

फरीहा नक़वी

भली क्यूँ लगे हम को ख़ुशियों की दस्तक

फरीहा नक़वी

उसे भूलने का सितम कर रहे हैं

फरीहा नक़वी

जिस्म की क़ैद से सब रंग तुम्हारे निकल आए

फ़रहत एहसास

सुब्ह की आज जो रंगत है वो पहले तो न थी

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

शफ़क़ की राख में जल बुझ गया सितारा-ए-शाम

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

नज़्र-ए-फ़िराक़

फ़हमीदा रियाज़

महमिल है मतलूब न लैला माँगता है

एजाज़ गुल

गलियों में भटकना रह-ए-आलाम में रहना

एजाज़ गुल

ज़माने ठीक है इन से बहुत हुए रौशन

दिनेश नायडू

आईने में देख के चेहरा बे-शक मैं हैरान हुआ

देवमणि पांडेय

काश

दर्शिका वसानी

कहानी एक रात की

दानिश फ़राज़ी

दीवार-ओ-दर में सिमटा इक लम्स काँपता है

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

न जाने कब तिरे दिल पर नई सी दस्तक हो

बशीर बद्र

प्यार की नई दस्तक दिल पे फिर सुनाई दी

बशीर बद्र

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