दे रहे हैं लोग मेरे दिल पे दस्तक बार बार
दिल मगर ये कह रहा है सिर्फ़ तू और सिर्फ़ तू
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लड़खड़ाना नहीं मुझे फिर भी
ऐन मुमकिन है उसे मुझ से मोहब्बत ही न हो
हथेली से ठंडा धुआँ उठ रहा है
तुम्हें पाने की हैसिय्यत नहीं है
हमारे कमरे में पत्तियों की महक ने
मिरे हिज्र के फ़ैसले से डरो तुम
रात से एक सोच में गुम हूँ
उसे भूलने का सितम कर रहे हैं
वो अगर अब भी कोई अहद निभाना चाहे
उस की जानिब से बढ़ा एक क़दम
एक पुराना ख़्वाब