दयार Poetry (page 6)

ये किस दयार-ए-अदम में...

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

मेरे नदीम!

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ग़म में इक मौज सरख़ुशी की है

एहतिशाम हुसैन

ये उजालों के जज़ीरे ये सराबों के दयार

एहसान दानिश

अपनी रुस्वाई का एहसास तो अब कुछ भी नहीं

एहसान दानिश

शदीद गरमी के मौसम में मुशाइरा

दिलावर फ़िगार

कब तक फिरूंगा हाथ में कासा उठा के मैं

दिलावर अली आज़र

सूरत-ए-हाल अब तो वो नक़्श-ए-ख़याली हो गया

दत्तात्रिया कैफ़ी

तमाम नूर-ए-तजल्ली तमाम रंग-ए-चमन

दर्शन सिंह

इक लम्हा भी गुज़ारूँ भला क्यूँ किसी के साथ

बशीर महताब

वो सितम-परवर ब-चश्म अश्क-बार आ ही गया

बशीर फ़ारूक़

इक बे-सबात अक्स बना बे-निशाँ गया

बशीर अहमद बशीर

अजीब दिल में मिरे आज इज़्तिराब सा है!

बाक़र मेहदी

लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में

ज़फ़र

लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में

ज़फ़र

गई यक-ब-यक जो हवा पलट नहीं दिल को मेरे क़रार है

ज़फ़र

क़दमों से इतना दूर किनारा कभी न था

बद्र-ए-आलम ख़लिश

टपकते शो'लों की बरसात में नहाउँगा

बदनाम नज़र

यही नहीं कि नज़र को झुकाना पड़ता है

अज़ीज अहमद ख़ाँ शफ़क़

कभी क़रीब कभी दूर हो के रोते हैं

अज़हर इनायती

तस्बीह-ए-कुमरी सर्व-ए-सनोबर समेट लो

अज़हर हाश्मी

गर इक़्तिदार-ए-सुकूँ इक़्तिदार-ए-वहशत है

अज़हर हाश्मी

इबारतें चमक रही हैं दिल में तेरे प्यार की

आयुष चराग़

न कोई दिन न कोई रात इंतिज़ार की है

अय्यूब ख़ावर

न कोई दिन न कोई रात इंतिज़ार की है

अय्यूब ख़ावर

बर्ग-ए-गुल शाख़-ए-हिज्र का कर दे

अय्यूब ख़ावर

न शाम है न सवेरा अजब दयार में हूँ

अतहर नफ़ीस

शहर-ए-निगार

असरार-उल-हक़ मजाज़

रुख़्सत ऐ हम-सफ़रो शहर-ए-निगार आ ही गया

असरार-उल-हक़ मजाज़

मैं सोचता हूँ कहीं तू ख़फ़ा न हो जाए

असलम फ़र्रुख़ी

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