देख Poetry (page 40)

तुझे ज़रा दुख और सिसकने वाला मैं

राजेन्द्र मनचंदा बानी

सियाह-ख़ाना-ए-उम्मीद-ए-राएगाँ से निकल

राजेन्द्र मनचंदा बानी

रही न यारो आख़िर सकत हवाओं में

राजेन्द्र मनचंदा बानी

पैहम मौज-ए-इमकानी में

राजेन्द्र मनचंदा बानी

न जाने कल हों कहाँ साथ अब हवा के हैं

राजेन्द्र मनचंदा बानी

कोई भूली हुई शय ताक़-ए-हर-मंज़र पे रक्खी थी

राजेन्द्र मनचंदा बानी

घनी-घनेरी रात में डरने वाला मैं

राजेन्द्र मनचंदा बानी

इक ढेर राख में से शरर चुन रहा हूँ मैं

राजेन्द्र मनचंदा बानी

दिल में ख़ुशबू सी उतर जाती है सीने में नूर सा ढल जाता है

राजेन्द्र मनचंदा बानी

अजीब तजरबा था भीड़ से गुज़रने का

राजेन्द्र मनचंदा बानी

कल चमन था आज इक सहरा हुआ

राजेन्द्र कृष्ण

मिरे दिल के किसी कोने में इक मासूम सा बच्चा

राजेश रेड्डी

यहाँ हर शख़्स हर पल हादसा होने से डरता है

राजेश रेड्डी

उठा ख़ुद जिस से जाता भी नहीं है

राजेन्द्र कलकल

नासेहा फ़ाएदा क्या है तुझे बहकाने से

रजब अली बेग सुरूर

किस तरह पर ऐसे बद-ख़ू से सफ़ाई कीजिए

रजब अली बेग सुरूर

ये सास है कि शेर छुपा है नक़ाब में

राजा मेहदी अली ख़ाँ

बोर्ड ऑफ़ इंटरव्यू

राजा मेहदी अली ख़ाँ

अदीब की महबूबा

राजा मेहदी अली ख़ाँ

आख़िरी गाली

राजा मेहदी अली ख़ाँ

ज़ौक़-ए-सुजूद ले गया मुझ को कहाँ कहाँ

राज कुमार सूरी नदीम

नख़्ल-ए-उमीद-ओ-आरज़ू बे-बर्ग-ओ-बार है

राज कुमार सूरी नदीम

'नदीम' उन की ज़बाँ पर फिर हमारा नाम है शायद

राज कुमार सूरी नदीम

हम गर्दिश-ए-दौराँ के सितम देख रहे हैं

राज कुमार सूरी नदीम

नवा-ए-दिल ने करिश्मे दिखाए हैं क्या क्या

राज कुमार क़ैस

दुआ ने काम किया है यक़ीं नहीं आता

राज कुमार क़ैस

दिल के ज़ख़्मों को हरा करते हैं

रईस सिद्दीक़ी

सग-ए-हम-सफ़र और मैं

रईस फ़रोग़

किसी किसी की तरफ़ देखता तो मैं भी हूँ

रईस फ़रोग़

हमा-वक़्त जो मिरे साथ हैं ये उभरते डूबते साए से

रईस फ़रोग़

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